उत्तर प्रदेश में गर्मियों की शुरुआत हो चुकी है. इसके साथ ही रबी फसलों की कटाई चर रही है. मौसम विभाग का अनुमान है कि उत्तर प्रदेश में अगले तीन सप्ताह तक औसत तामपान अधिक रहेगा. इसके कारण राज्य में सूखे जैसी स्थिति रहेगी. जबकि कुछ स्थानों पर हल्की बारिश होने की संभावना है. ऐसे में किसानों को किसी तरह का नुकसान नहीं हो और वे अपनी उपज अच्छे से ले पाएं, इसके लिए यूपी कृषि अनुसंधान परिषद की तरफ से एडवाइजरी जारी की है. इसका पालन करके किसान मौसम संबंधी होने वाले नुकसान से बच सकते हैं.
यूपी कृषि अनुसंधान परिषद ने किसानों को जो उपाय सुझाए हैं, उनमें रसायनों के इस्तेमाल से बचने को कहा गया है. किसानों को गैर रासायनिक समाधान पर ध्यान रखते हुए फसलों के जैविक संरक्षण के लिए उपाय बताए गए हैं. किसानों को बताया गया है कि किस प्रकार वे बिना रसायन के इस्तेमाल से अपने फसलों का सुरक्षित तरीके से भंडारण कर सते हैं. इसके तहत कहा गया है कि किसान अपने अनाज का भंडारण करते समय कुचले हुए नीम को मिला दें. इससे कीटों पर प्रभावी तरीके से नियंत्रण पाया जा सकता है. इसके साथ ही परिषद ने पराली के अवशेषों के उपयोग और फसल अवशेषों को जलाने पर सख्ती से रोक लगाने के लिए कहा है.
ये भी पढ़ेंः Mango insect: अमिया को भारी नुकसान पहुंचाता है ये कीट, जानिए कैसे करें रोकथाम?
मूंग की खेती पूरे उत्तर प्रदेश में की जाती है. मूंग की खेती को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि इस समय उड़द औऱ मूंग की फसल में येलो नोज रोग का प्रकोप होता है. किसानों से कहा गया है कि अगर खेत के पौधों में इस बीमारी के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत प्रभावित पौधों को सावधानी से उखाड़कर खेत के बाहर ले जाकर जला देना चाहिए. इसके अलावा सब्जी की खेती को लेकर सलाह जारी की गई है. इसमें किसानों से कहा गया है कि इस वक्त टमाटर और मिर्च में वायरस जनित बीमारियां हो सकती हैं. इसलिए लगातार खेतों की निगरानी करते रहें. इनमें ब्लाइट रोग के नियंत्रण के लिए मैंकोजेब डब्ल्यूपी 75 प्रतिशत का दो ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें.
ये भी पढ़ेंः Onion Price: प्याज किसानों को मिल रहा 15 रुपये का रेट, एक किलो पर 120 रुपये कमा रहे विदेशी व्यापारी
किसानों को सलाह दी गई है कि तैयार हो चुकी गेहूं की फसल की कटाई और मड़ाई जल्द करें. गेहूं की फसल (विशेषकर एचडी 2967 किस्म) में करनाल बंट का प्रकोप होने पर इसे नियंत्रित करने के लिए बिटरानोल 25 प्रतिशत डब्लूपी 2.25 किग्रा को 750 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में छिड़काव करें. इसके अलावा प्रोपिकोनाज़ोल 25 प्रतिशत ई.सी. 500 मिली को लगभग 750 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें. इसके साथ ही पशुओं को होने वाले फूड एंड माउथ डिजीज और बकरी प्लेग रोग की रोकथाम करने के लिए टीकाकरण करने की सलाह दी गई है.
ये रोग पशुओं के लिए घातक हो सकते हैं. मछली पालन के लिए कहा गया है कि सतही जल का तापमान बढ़ने के साथ, मछली पकड़ने के तालाब के प्रबंधन पर सावधानीपूर्वक ध्यान देना आवश्यक है, जिससे पानी की गहराई कम से कम 5 से 6 फीट बनी रहे.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today