महाराष्ट्र के पुणे में टमाटर के होलसेल रेट में भारी गिरावट आई है. इससे किसानों को बहुत अधिक आर्थिक नुकसान हो रहा है. वे लागत निकालने के लिए भी जूझ रहे हैं. वहीं, विशेषज्ञों और कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) के अधिकारियों का कहना है कि राज्य भर के बाजारों में टमाटर की अधिक आवक के कारण कीमत में गिरावट आई है. पुणे और नारायणगांव के बाजारों में कीमत गिरकर 5 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई है. वहीं, अच्छी क्वालिटी के टमाटर का भाव 12 रुपये प्रति किलोग्राम दर्ज की गई है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पुणे के जुन्नार स्थित बंकर फाटा के टमाटर उत्पादक किसान बबन बंकर का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में थोक बाजारों में टमाटर की कीमत में भारी गिरावट है. इसके चलते भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. बबन बंकर ने कहा कि उनका गांव डिंगोर पुणे से लगभग 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. मैंने छह एकड़ जमीन पर टमाटर उगाने के लिए 6 लाख रुपये का निवेश किया है. 20 किलो के टमाटर का एक पैकेट 100 रुपये से 150 रुपये में बिक रहा है. उन्होंने कहा कि मुझे मौजूदा दर पर 20 फीसदी भी रिटर्न नहीं मिल रहा है. हालांकि, आने वाले हफ्तों में कीमत में और गिरावट की संभावना तजाई जा रही है.
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बनकर की तरह, राज्य के कई उत्पादक भारी नुकसान से जूझ रहे हैं. उन्होंने वर्ष के इस कठिन समय में उपज प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत की है. हालांकि, बाज़ारों में कीमत में भारी गिरावट ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. जुन्नर के एक अन्य उत्पादक शेखर शेरकर ने भी इसी तरह की समस्या बताई है. शेखर शेरकर का कहना है कि यह तीसरा वर्ष है जब मुझे नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. पिछले साल मुट्ठीभर टमाटर किसान अच्छी कमाई कर सके थे. ऐसे में कीमत जल्द नहीं बढ़ी, तो मुझे 2 लाख रुपये से अधिक का नुकसान होगा.
मार्केट यार्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्हें पिछले कुछ दिनों से प्रदेश के जिलों से रोज दो टन से अधिक टमाटर मिल रहे हैं. यानी पुणे में टमाटर की आवक मांग से ज्यादा है. यही वजह है कि कीमतों में गिरावट आ गई. नारायणगांव मंडी के सचिव शरद गोंगड़े ने कहा कि हमे रोजाना 9,000 से 10,000 क्रेट टमाटर मिल रहे हैं. यह आवक पिछले साल की तुलना में काफी कम है. हालांकि, नासिक और अन्य स्थानों के बाज़ारों में पिछले दो सप्ताह से भारी मात्रा में टमाटर आ रहे हैं. इसके चलते कीमतों में गिरावट आई है.
बनकर ने कहा कि टमाटर उगाने के लिए उत्पादकों को प्रति एकड़ कम से कम 2 लाख रुपये की पूंजी की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, पानी की कमी के कारण इस वर्ष उन्हें अपने बागानों को पानी देने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी. कई किसानों ने अपने बागानों को पानी देने के लिए मल्चिंग पेपर, ड्रिप और छिड़काव सिंचाई का उपयोग किया. हमें इस असहनीय गर्मी में अपनी फसल तोड़नी होगी. अगर हम ऐसा नहीं करते हैं, तो हम मानसून में अगली फसल के लिए खेत की सफाई कैसे कर पाएंगे.
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