इस समय कई राज्यों में गेहूं की कटाई और मड़ाई का काम चल रहा है. खेतों से निकालकर अब गेहूं घरों और मंडियों में पहुंचाया जा रहा है. अब बारी है गेहूं को बेचने या फिर रखने यानी भंडारण करने की. लेकिन अगर आप ध्यान नहीं देंगे तो भंडारण में सबसे ज्यादा नुकसान होने का डर रहता है. एक अनुमान के मुताबिक अगर ध्यान न दिया जाए तो भंडारण में 30 फीसदी से अधिक नुकसान की संभावना बनी रहती है. इसलिए कृषि वैज्ञानिकों की एडवाइजरी पर ध्यान देना जरूरी है. पूसा के वैज्ञानिकों का कहना है कि अनाज को भंडारण में रखने से पहले भंडारघर की सफाई करें तथा अनाज को सुखा लें. दानों में नमी की मात्रा 12 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
भंडारघर को अच्छे से साफ कर लें. छत या दीवारों पर यदि दरारें हैं तो इन्हें भरकर ठीक कर लें. बोरियों को 5 प्रतिशत नीम तेल के घोल से उपचारित करें. बोरियों को धूप में सुखाकर रखें. जिससे कीटों के अंडे तथा लार्वा तथा अन्य बीमारियां आदि नष्ट हो जाएं. भंडारण करेंगे तो आगे चलकर गेहूं का अच्छा दाम मिल पाएगा. किसानों को सलाह है कि कटी हुई फसलों तथा अनाजों को सुरक्षित स्थान पर रखें. इस मौसम में तैयार गेहूं की फसल की कटाई की सलाह है.
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पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने एक एडवाइजरी में कहा है कि मौसम को देखते हुए किसान कटी हुई फसलों को बांधकर तथा ढंककर रखें. अन्यथा तेज हवा या आंधी से फसल एक खेत से दूसरे खेत में जा सकती है. आने वाले दिनों में बारिश की संभावना से कटी फसलों को नुकसान से बचाया जा सके. गहाई के बाद भंडारण से पूर्व दानों को अच्छी तरह से सुखा दें.
इस समय मूंग के उन्नत बीजों (पूसा विशाल, पूसा 672, पूसा 9351, पंजाब 668 ) की बुवाई करें. बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है. बुवाई से पूर्व बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम तथा फॉस्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से अवश्य उपचार करें. वर्तमान तापमान फ्रेंच बीन, सब्जी लोबिया, चौलई, भिंडी, लौकी, खीरा, तुरई आदि तथा गर्मी के मौसम वाली मूली की सीधी बुवाई के लिए अनुकूल है. क्योंकि, बीजों के अंकुरण के लिए यह तापमान उपयुक्त है. बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है. उन्नत किस्म के बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से लेकर बुवाई करें.
रबी फसल यदि कट चुकी है तो उसमें हरी खाद के लिए खेत में पलेवा करें. हरी खाद के लिए ढ़ैंचा, सनई या लोबिया की बुवाई की जा सकती है. बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है. ग्वार, मक्का, बाजरा, लोबिया आदि चारा फसलों की बुवाई इस सप्ताह कर सकते हैं. बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी आवश्यक है. बीजों को 3-4 सेमी गहराई पर डालें और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25-30 सेमी रखें. रबी फसल की कटाई के बाद खाली खेतों की गहरी जुताई कर जमीन को खुला छोड़ दें ताकि सूरज की तेज धूप से गर्म होने के कारण इसमें छिपे कीड़ों के अंडे तथा घास के बीज नष्ट हो जाएंगे.
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