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लाल मिर्च के गोदामों पर लगा 'हाउसफुल' का बोर्ड, पढ़ें कर्नाटक की ये स्पेशल कहानी

लाल मिर्च के गोदामों पर लगा 'हाउसफुल' का बोर्ड, पढ़ें कर्नाटक की ये स्पेशल कहानी

भारत दुनिया में लाल मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक, निर्यातक और उपभोक्ता है. पर कर्नाटक के हावेरी जिले के ब्यादगी में मिर्च उत्पादक किसान कोल्ड स्टोरेज की कमी से जूझ रहे हैं. बढ़ती मांग के कारण अपनी उपज के पर्याप्त भंडारण की सुविधा ढूंढ रहे हैं पर अब यह उनके लिए एक चुनौती बन गई है. इसके कारण किसान मजबूर होकर अपनी उपज को रखने के लिए आंध्र प्रदेश के कोल्ड स्टोरेज में जा रहे हैं.

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मिर्च भंडारण की सुविधाओं की कमी का सामना कर रहे किसान (सांकेतिक तस्वीर) मिर्च भंडारण की सुविधाओं की कमी का सामना कर रहे किसान (सांकेतिक तस्वीर)

कर्नाटक का हावेरी जिला देश-दुनिया में मशहूर है. यहां का ब्यादगी इलाका सबसे अच्छी लाल मिर्च का उत्पादन करता है. लेकिन यहां के किसान एक नई समस्या से परेशान हैं. समस्या ये है कि इस बार इतनी बंपर उपज हुई है कि गोदामों में रखने के लिए जगह नहीं है. गोदाम इसलिए भी भरे पड़े हैं क्योंकि पिछले साल मिर्च की जितनी बिक्री हुई, इस साल ऐसा नहीं है. चीन और अन्य देशों से आयात गिरा है. लिहाजा, मिर्च किसानों के पास या मंडियों में फंसा हुआ है. इस मिर्च को रखने के लिए किसान गोदामों की तलाश में हैं. लेकिन गोदाम पहले से भरे पड़े हैं. हालत ये हो गई है कि कर्नाटक के किसान आंध्र प्रदेश में जाकर गोदामों में अपनी उपज स्टोर कर रहे हैं.

किसानों की शिकायत है कि उनकी उपज रखने के लिए गोदामों की भारी कमी है और सरकार को इसमें आगे आना चाहिए. किसान कहते हैं कि जब गोदाम ही नहीं है, तो उनकी उपज का क्या फायदा क्योंकि स्टोरेज नहीं होने से उपज खराब हो जाएगी. स्थानीय स्तर पर भंडारण की सुविधा नहीं मिलता देख किसान अपनी बोरियों को आंध्र प्रदेश के गोदामों में ले जाने के लिए मजबूर हैं. 

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बढ़ी है भंडारण क्षमता

हालांकि इस वर्ष मांग में मामूली सी गिरावट देखी गई है पर इसके बाद भी कोल्ड स्टोरेज में मिर्च भंडारण के लिए जगह नहीं मिल रही है. भंडारण क्षमताओं में कमी देखते हुए कई किसान ऐसे हैं जो बीच में ही थोड़ी अच्छी कीमत मिलने पर स्टोरेज से अपनी मिर्च को निकालकर बेच दे रहे हैं. गौरतलब है कि पिछले साल ब्यादगी बाजार में मिर्च की कमी हो गई थी, इसके कारण कीमतें बढ़ गई थीं और किसान काफी खुश हो गए थे. मिर्च की भंडारण सविधाओं की क्षमता पिछले वर्षों की तुलना में बढ़ी है. इसके बाद भी किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वर्ष 2022-23 में मिर्च भंडारण क्षमता 9.90 लाख क्विंटल थी जबकि इस साल यह बढ़कर 12.86 लाख क्विंटल हो गई है. 

कोल्ड स्टोरेज में सुविधाओं की कमी

पिछले साल मांग में आई कमी के कारण किसानों को उम्मीद थी इस साल उन्हें मिर्च के अच्छे दाम मिलेंगे. इसके कारण उन्होंने मिर्च की लाखों बोरियों को कोल्ड स्टोरेज में रख दिया था. हालांकि मांग में वृद्धि के कारण कीमतें थोड़ी कम हो गई हैं. इसके कारण किसान अपने मौजूद स्टॉक को बेचना भी नहीं चाह रहे हैं. इसलिए स्टॉक खाली नहीं हो पा रहा है. किसानों के लिए एक और समस्या यह है कि सरकारी स्वामित्व वाले कोल्ड स्टोरेज में सुविधाओं का अभाव है. इसके कारण उन्हें निजी कोल्ड स्टोरेज पर निर्भर रहना पड़ रहा है. कोल्ड स्टोरेज में भी स्टॉक क्षमता से अधिक उपज रखी हुई है. 

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मिर्च स्टोर नहीं कर पा रहे किसान

एक स्थानीय रिपोर्ट के अनुसार, शाहपुरा के एक किसान यमनप्पा पाटिल ने स्थिति पर दुख जताते हुए कहा, कम कीमतों और जगह की कमी के कारण हम मिर्च को कोल्ड स्टोरेज में नहीं रख सकते हैं. बाहर रखने पर खराब होने का डर रहता है, जिससे हमें जो भी दाम मिलता है, उस पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है. इस स्थिति ने किसानों की फसलों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त भंडारण सुविधाएं देने में सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं. कोल्ड स्टोरेज के निर्माण के लिए करोड़ों की सब्सिडी मिलने के बावजूद, कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए सरकार जमीन देने में विफल साबित हो रही है. इसके अलावा, इस बात पर भी चिंता जताई गई है कि क्या बढ़ी हुई कीमतें कृत्रिम रूप से कमी पैदा करने या मुनाफाखोरी को बढ़ावा देने के लिए बढ़ाई गई हैं.