शंभू बॉर्डर पर अभी नाकाबंदी की स्थिति जारी रहेगी, सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश

शंभू बॉर्डर पर अभी नाकाबंदी की स्थिति जारी रहेगी, सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि किसानों में विश्वास जगाने की जरूरत है और हरियाणा-पंजाब से तटस्थ व्यक्तित्वों के नाम सुझाने को कहा जो किसानों की शिकायतों के समाधान के लिए समिति का गठन कर सकें. संक्षिप्त सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने बेंच को बताया कि समिति के लिए आम नाम सुझाने की प्रक्रिया चल रही है. शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि शंभू बॉर्डर पर नाकाबंदी की यथास्थिति जारी रहेगी.

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शंभू बॉर्डर पर अभी नाकाबंदी की स्थिति जारी रहेगी, सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देशकिसान आंदोलन के दौरान सुरक्षा (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र और पंजाब राज्य से किसानों के विरोध प्रदर्शन का सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने का आग्रह करते हुए उनसे न्यूट्रल लोगों के नाम सुझाने को कहा, जिन्हें प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत करने के लिए एक समिति में शामिल किया जा सके. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई स्थगित करते हुए कहा, "हम एक बातची की प्रक्रिया चाहते हैं. हम बातचीत के मामले में एक बहुत ही सहज शुरुआत चाहते हैं, देश में बहुत अनुभवी लोग हैं. कृपया कुछ न्यूट्रल लोगों के बारे में सोचें. इससे किसानों में अधिक विश्वास पैदा होगा. वे कहते रहते हैं कि जजों को भी शामिल किया जाना चाहिए, जज विशेषज्ञ नहीं हैं लेकिन पूर्व जज और बार के सदस्य भी हो सकते हैं. इसे सुलझाने का प्रयास करें."

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि किसानों में विश्वास जगाने की जरूरत है और हरियाणा-पंजाब से तटस्थ व्यक्तित्वों के नाम सुझाने को कहा जो किसानों की शिकायतों के समाधान के लिए समिति का गठन कर सकें. संक्षिप्त सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने बेंच को बताया कि समिति के लिए आम नाम सुझाने की प्रक्रिया चल रही है. शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि शंभू बॉर्डर पर नाकाबंदी की यथास्थिति जारी रहेगी.

क्या कहा कोर्ट ने

जस्टिस सूर्यकांत ने केंद्र और पंजाब दोनों से पूछा, "क्या आप सुनिश्चित करेंगे कि कोई ट्रैक्टर नहीं आए, क्या आप प्रभारी को बताने की स्थिति में हैं कि ये गाड़ियां (शंभू बॉर्डर की गाड़ियां) वरिष्ठ नागरिकों की हैं, छात्रों को इन गाड़ियों की जरूर हो सकती है, महिलाओं को भी सुरक्षा कारणों से इसकी जरूरत है. इसके लिए एक प्रस्ताव लेकर आएं. अगर दोनों राज्य ऐसा करते हैं तो हम इसका स्वागत करेंगे, अन्यथा हम यह जिम्मेदारी लेंगे."

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जस्टिस कांत ने कहा, "एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में, हां, उन्हें अपनी शिकायतें बताने का अधिकार है, वे शिकायतें उस स्थान पर भी हो सकती हैं." पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने जुलाई में दोनों राज्यों को यह तय करने का निर्देश दिया था कि कानून और व्यवस्था बनी रहे और हाईवे को उसके पहले वाली स्थिति में बहाल किया जाए.

इससे पहले 24 जुलाई को 24 जुलाई को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से संपर्क करने और उनकी मांगों को जानने के लिए प्रतिष्ठित लोगों की एक स्वतंत्र कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा था. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्होंने 24 जुलाई को अदालत द्वारा बताए गए अनुसार यह काम किया है. पंजाब की ओर से पेश वकील ने अलग-अलग फेज में हाईवे खोलने के बारे में बताया.

अदालत का सुझाव

सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव में कहा है कि समिति में कृषि वैज्ञानिक और अर्थशास्त्री, कृषि विश्वविद्यालयों के कुछ प्रोफेसर हो सकते हैं जो इन समस्याओं को समझते हैं. इस मामले में पेश हुए एक वकील ने कहा कि शंभू बॉर्डर को कम से कम जरूरी और इमरजेंसी गाड़ियों के लिए खोलने का निर्देश दिया जाना चाहिए क्योंकि विरोध स्थल के नज़दीकी इलाकों में रहने वाले लोग नाकाबंदी के कारण अंबाला में मेडिकल सुविधाओं का लाभ उठाने से वंचित हैं. 

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24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार को समिति के लिए उपयुक्त लोगों के नाम सुझाने और हाईवे पर बैरिकेड्स हटाने का प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया था, जबकि बॉर्डर पर एक सप्ताह तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. शुक्रवार को बेंच ने कहा कि अंतरिम व्यवस्था अगले आदेश तक जारी रहेगी. हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला-नई दिल्ली नेशनल हाईवे पर बैरिकेड्स लगा दिए थे, जब संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने घोषणा की थी कि किसान अपनी मांगों के समर्थन में दिल्ली कूच करेंगे.(कनु शारदा की रिपोर्ट)

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