गन्ना की खेती किसानों के लिए फायदेमंद होती है. पर गन्ना की खेती में अधिक उत्पादन हासिल करने के लिए इसका उचित प्रबंधन करना पड़ता है. गन्ने के अधिक वजन के लिए इसका मोटा और लंबा होना जरूरी होता है. इस तरह से इसका वजन भी अधिक होता है और किसानों की कमाई भी बढ़ती है. अच्छी बढ़वार और मोटाई के लिए खेत में गन्ने की बेहतर किस्म और खाद का चयन करना चाहिए. उन्नत किस्म से अच्छी पैदावार और बढ़वार होती है. गन्ने की खेती करने के लिए मिट्टी की जांच भी पहले करानी चाहिए. इसके अनुसार ही खेत में निर्धारित मात्रा में उर्रवरकों का इस्तेमाल करना चाहिए.
एक्सपर्ट बताते हैं कि गन्ने की अच्छी बढ़वार और मोटाई के लिए खाद का प्रबंधन बेहतर तरीके से करना चाहिए. गन्ने की खेती के लिए खाद की निर्धारित मात्रा का इस्तेमाल करना चाहिए. एक हेक्टेयर खेत में गन्ना की खेती करने के लिए 150-180 किलेग्राम नाइट्रोजन, 75 किलोग्राम फॉस्फोरस, 75 किलोग्राम पोटाश, 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट और 20 किलोग्राम फेरस सल्फेट की आवश्यकता होती है. नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा और फॉस्फोरस, पोटाश, जिंक और फेरस सल्फेट की पूरी मात्रा बुवाई के समय ही खेती में डाल दें. फॉस्फोरस को एनपीके के साथ देना चाहिए जिससे पोटाश की आवश्यकता भी पूरी हो जाती है. इसके अलावा नाइट्रोजन की शेष मात्रा को गन्ना लगाने के 60 और 90 दिनों के बाद खेत में डालना चाहिए.
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इसके अलावा गन्ने के खेतों में जैविक उर्वरक एजोटोबैक्टर या लिक्विड खाद का इस्तेमाल करना चाहिए. यह मिट्टी में पोषक तत्व बढ़ाने वाला कल्चर होता है जो गन्ने के लिए काफी लाभदायक होता है. इसे 300-400 मिली प्रति एकड़ की दर से इस्तेमाल करना चाहिए. इसका इस्तेमाल बीजोपचार या गोबर खाद से बुवाई के समय खड़ी फसल में करना चाहिए. इसके साथ एनपीके का पांच से 10 ग्राम और सागरिका का 1-2 मिली प्रति लीटर का घोल बनाकर इस्तेमाल करना चाहिए.
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सागरिका घोल का इस्तेमाल गन्ने की खेती में करना चाहिए. पहला इस्तेमाल 30 दिनों बाद करना चाहिए. जब इसके कल्ले निकलने लगते हैं, उस समय इसमें घोल का छिड़काव करना चाहिए. दूसरी बार इस दवा का छिड़काव 60 दिनों के बाद करना चाहिए. फिर तीसरी बार इस दवा का छिड़काव 120 दिनों के बाद करना चाहिए. फरवरी से मार्च तक गन्ने की रोपाई की जाती है. इसमें फसल को तैयार होने में 10-12 महीने का समय लगता है. सर्दी और बसंत ऋतु में की गई गन्ने की रोपाई से 25-30 प्रतिशत तक की पैदावार हासिल होती है, जबकि ग्रीष्मकालीन गन्ने की रोपाई से 30-30 प्रतिशत तक अधिक पैदावार हासिल होती है.
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