चंडीगढ़ में गुरुवार को किसान संगठनों की एकता मीटिंग है. इस बातचीत में अपनी भागीदारी को लेकर दिन भर सस्पेंस बनाए रखने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेताओं ने आखिरकार चर्चा में भाग लेने का फैसला कर लिया है. इससे पहले बुधवार को एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के नेताओं ने अपने नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की सुबह तबीयत बिगड़ने के बाद खनौरी बॉर्डर पर एक आपात बैठक की थी, जिसमें किसान नेता काका सिंह कोटड़ा ने बताया कि 26 नवंबर से भूख हड़ताल पर बैठे डल्लेवाल को तेज बुखार है और उन्हें ब्लड प्रेशर की समस्या भी है.
चंडीगढ़ में गुरुवार को किसान भवन में किसान संगठनों की बैठक है. शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में और किसान संगठनों के साथ SKM की बैठक है. KMM (पंधेर ) SKM -Non Political (डल्लेवाल) की SKM नेताओं के साथ आपसी तालमेल के लिए यह बैठक की जा रही है. MSP कानून समेत 13 मांगों पर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर 1 साल से दो मुख्य किसान फ्रंट की ओर से धरना जारी है. इसमें और किसान संगठनों को भी साथ आने और समर्थन के लिए अपील की गई है.
कोटड़ा ने कहा कि हमने भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धूपुर) के सदस्यों को गुरुवार को खनोरी बॉर्डर पर पहुंचने को कहा है. फिलहाल एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के मेंबर इस मामले पर चर्चा कर रहे हैं. हम बाद में फैसले के बारे में बताएंगे. हालांकि, एसकेएम (गैर-राजनीतिक) ने बाद में एक बयान जारी कर दावा किया कि वह बैठक में भाग लेगा. बयान में कहा गया है कि एसकेएम (गैर-राजनीतिक) नेता पहले सरवन सिंह पंढेर के नेतृत्व में किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के नेताओं के साथ बैठक करेंगे. फिर वे एसकेएम (अखिल भारतीय) नेताओं के साथ एकता बातचीत में भाग लेंगे.
भारतीय किसान यूनियन (एकता-उग्राहन) के प्रमुख जोगिंदर सिंह उग्राहन द्वारा बातचीत के लिए प्राप्त एक पत्र पर आपत्ति जताए जाने के बाद वार्ता के आयोजन पर संदेह पैदा हो गया था. उन्होंने कहा था कि पत्र में केवल केएमएम नेताओं के हस्ताक्षर थे. वहीं, डल्लेवाल की अध्यक्षता वाले एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के नेताओं की ओर से हस्ताक्षर नहीं किए गए थे. बता दें कि ये दोनों यूनियन पिछले साल 13 फरवरी से शंभू और खनोरी बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
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इससे पहले, एसकेएम (गैर-राजनीतिक) ने 11 फरवरी को बैठक से कुछ घंटे पहले अपने शीर्ष नेतृत्व की उपलब्ध न होने का हवाला देते हुए तीसरे दौर की बातचीत से खुद को अलग कर लिया था. 18 फरवरी को दोनों मोर्चों ने मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत के लिए उग्राहन, बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शन पाल और अन्य नेताओं सहित एसकेएम (अखिल भारतीय) नेताओं को बुलाया था.
बता दें कि पहले दो दौर की बातचीत 13 जनवरी और 18 जनवरी को खनोरी बॉर्डर के पास पाटरान में हुई थी, जिसमें केएमएम और एसकेएम (गैर-राजनीतिक) ने हिस्सा लिया था. हालांकि, चंडीगढ़ में 11 फरवरी को आयोजित तीसरे दौर की बातचीत में केवल केएमएम नेताओं ने हिस्सा लिया था. इससे पहले एसकेएम (ऑल इंडिया) नेताओं ने 20 दिसंबर को पटियाला में केएमएम नेताओं से मुलाकात की थी.
इस बीच, केएमएम प्रमुख सरवन सिंह पंढेर सहित पार्टी के नेताओं ने कहा है कि वे मीटिंग में भाग लेंगे. एसकेएम (ऑल इंडिया) के रमिंदर पटियाला ने कहा कि एसकेएम (गैर-राजनीतिक) नेताओं ने यह पहचान कर बेहतर निर्णय लिया है कि देश भर में किसान समुदाय के सामूहिक हितों के लिए सभी मंचों के बीच एकता महत्वपूर्ण है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एकजुट होकर और सरकार के साथ मिलकर काम करके ही किसान अपनी जायज मांगों को पूरा कर सकते हैं.
वर्तमान विरोध प्रदर्शन लोन माफी और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानून गारंटी सहित मांगों तक सीमित रहा है. एसकेएम (अखिल भारतीय) दावा कर रहा है कि कृषि मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति ढांचे के मसौदे के लिए एमएसपी जरूरी था क्योंकि इसमें अब रद्द किए गए तीन कृषि कानूनों के प्रावधान शामिल थे.
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