वैलेंटाइन्स डे (14 फरवरी) से पहले गुलाब की कीमतों में तगड़ा उछाल देखा जा रहा है. इससे पहले 7 फरवरी को रोज डे के दिन भी गुलाब की बिक्री में बड़ी तेजी दर्ज की गई. खासकर महाराष्ट्र में इसकी कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. रोज डे पर महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में गुलाब की बिक्री बढ़ी जिसका फायदा वहां के किसानों को मिल रहा है. महाराष्ट्र में गुलाब की मांग में भारी उछाल देखा जा रहा है.
इस मांग को पूरा करने के लिए किसानों ने पहले से ही तैयार कर रखी थी. इस दिन के इंतजार में किसानों ने बड़े स्तर पर गुलाब की खेती की थी. अब महाराष्ट्र के कई इलाकों में खेत पूरी तरह से गुलाबी लाल दिख रहे हैं. गुलाब को फूलों का राजा कहा जाता है और इस राजा ने किसानों के चेहरे पर खुशी ला दी है. जैसे-जैसे दाम बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे किसानों के चेहरे भी खिल रहे हैं.
गुलाब जो पहले 20-30 रुपये प्रति दर्जन बिकते थे, अब वैलेंटाइन्स डे और चल रहे शादी के मौसम की भारी मांग के कारण 100 से 150 रुपये प्रति दर्जन मिल रहे हैं. पिंपलगांव बसवंत, मोहाडी, जनोरी, डिंडोरी और निफाड़ के किसान - जो बड़े पैमाने पर फूलों की खेती के लिए जाने जाते हैं - बिक्री में उछाल देख रहे हैं. इन फूलों को महाराष्ट्र भर के बाजारों में ले जाया जा रहा है.
हालांकि, जलवायु परिवर्तन की मुश्किलों ने गुबाल की उपज को प्रभावित किया है. फूलों का उत्पादन कम हो गया है, जिससे कीमतों में और बढ़ोतरी हुई है. पिंपलगांव के फूल विक्रेता दीपक पुंड ने कहा, "आमतौर पर 4 से 5 रुपये प्रति डंठल बिकने वाले गुलाब अब 10 से 20 रुपये में बिक रहे हैं और कीमतों में और बढ़ोतरी होने की उम्मीद है."
वैलेटाइन्स डे से पहले और रोज डे पर गुलाब की बढ़ती कीमतों से किसान बहुत खुश हैं, लेकिन फूलों को ताजा रखना मुश्किल साबित हो रहा है. फूल उगाने वाले धनंजय विधाते कहते हैं, "बिगड़ते मौसम और जलवायु ने फूलों की खेती को प्रभावित किया है और फूलों की ताजगी बनाए रखना एक चुनौती है." किसान इसलिए चिंतित हैं क्योंकि फूल ताजे रहेंगे तभी अच्छे रेट मिलेंगे. इसलिए किसानों की मांग है कि सरकार इसके लिए कोई सुविधा दे.
अभी वैलेंटाइन्स वीक चल रहा है और इसके चलते गुलाब की मांग बढ़ने से कीमतों में और भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. जहां फूल बेचने वाले बिक्री में तेजी की खुशी का आनंद ले रहे हैं, वहीं ग्राहक गुलाब के साथ अपने प्यार का इजहार करने के लिए अधिक कीमत चुका रहे हैं. एक तरह से कहें तो एक तरफ किसान कमाई बढ़ने से खुश हैं तो खरीदार अपने संबंधों में खुशबू भरने की खुशी से खुश हैं.
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