फूलों की रानी कहे जाने वाले गुलाब की खेती से किसानों को काफी लाभ होता है. गुलाब दुनिया का सबसे लोकप्रिय उद्यान पौधा है जिसे हर कोई अपने गार्डन में लगाता है. किसान इसकी कमर्शियल खेती भी करते हैं और इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमाते हैं. पर गुलाब की खेती में विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है क्योंकि यह रोगों के प्रति संवेदनशील होता है. इनमें रोगों का अटैक जल्दी होता है.
किसान अगर कोशिश करें तो जैविक और रासायनिक कीटनाशकों के स्प्रे से गुलाब को कई प्रकार के रोगों से बचाया जा सकता है. रोग के कारण इसके फूलों और पत्तों में लक्षण दिखाई देते हैं जिससे उत्पादकता और क्वालिटी दोनों ही प्रभावित होते हैं. इस नुकसान से बचने के लिए किसानों को इसके रोग प्रबंधन के सही तरीके की जानकारी होनी चाहिए. आइए गुलाब में लगने वाले खास रोगों के बारे में जान लेते हैं. यह भी जानते हैं कि इससे कैसे बचाव करना है.
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गुलाब में लगने वाले प्रमुख रोगों की बात करें तो इनमें काला धब्बा एक प्रमुख रोग होता है. रोग में पत्तियों पर काले धब्बे पड़ जाते हैं. इसके बाद पत्तियां झड़ने लगती हैं. इस रोग के प्रभाव से फूलों की संख्या और आकार पर असर पड़ता है. इस रोग में पत्तियों की उपरी सतह पर काले धब्बे होते हैं. हालांकि यह निचली सतह पर कम दिखाई देते हैं. इस रोग के कारण पौधे बौने और कमजोर हो जाते हैं.
गुलाब के फूल में यह रोग मॉनसून के बाद पौधों की छंटाई करने के बाद तेजी से फैलता है. यह 30-32 डिग्री तापमान में उच्च नमी पर तेजी से फैलता है. इस बीमारी का प्रसार वायरस से होता है. गन्ने की कटी हुई सतह के सूखने पर यह रोग होता है. रोग के फैलने के अनुकूल मौसम रहने पर यह और तेजी से पूरी टहनियों पर फैलता है. इससे प्रभावित टहनी का रंग काला हो जाता है. कभी-कभी यह मुख्य तने से जड़ों तक फैल जाता है, इससे कभी-कभी पूरा पौधा मर जाता है.
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