Raksha Bandhan 2023: इस गांव में कोई नहीं मनाता राखी का त्योहार, वजह कर देगी हैरान

Raksha Bandhan 2023: इस गांव में कोई नहीं मनाता राखी का त्योहार, वजह कर देगी हैरान

उत्तर प्रदेश के सुराना गांव में स्थानीय लोगों के अनुसार जब ये रक्षाबंधन का त्यौहार मनाते है तो कई लोगों की मृत्यु हो जाती हैं. लोगों का कहना हैं कि इस दिन को श्राप लगा हुआ है और रक्षाबंधन को मनाने पर कई सारी परेशानियां भी आ जाती हैं. इसलिए रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मानते हैं. 

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Raksha Bandhan 2023: इस गांव में कोई नहीं मनाता राखी का त्योहार, वजह कर देगी हैरानजानिए आखिर इस गाव में क्यों नहीं मनाया जाता रक्षाबंधन का त्यौहार

रक्षाबंधन भारत के मुख्य त्यौहारों में से एक है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां पर लोग यह त्यौहार नहीं मनाते हैं. इन गावों में रक्षाबंधन न मनाने के पीछे कुछ कारण और रहस्य भी हैं जो आज हम आपको बताएंगे. यहां 12वीं सदी से ही लोग रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाते हैं. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से 30 किलोमीटर दूर स्थित मुरादनगर के सुराना गांव में लोग रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाते हैं. यहां रक्षाबंधन को लोग 'काला दिन' भी मानते हैं. 

यहां के लोग 12वीं सदी से रक्षाबंधन का पर्व नहीं मना रहे हैं. सुराना गांव पहले 11वीं सदी में सोनगढ़ के नाम से जाना जाता था. इस गांव में करीब 20 हजार से भी अधिक लोग निवास करते हैं. 

रक्षाबंधन पर घटी थी ये घटना

सुराना में सैकड़ों साल पहले राजस्थान से आए पृथ्वीराज चौहान के वंशज सोन सिंह ने हिंडन नदी के किनारे अपना ठिकाना बनाया  था और इसके बारे में मोहम्मद गोरी को पता चल गया था.  इसके बाद मोहम्मद गोरी ने रक्षाबंधन वाले दिन ही पूरे गांव की जनता पर हाथियों से हमला करवा दिया और हाथियों के पैर के तले कुचले जाने से गांव के बहुत सारे लोग मर गए और कुछ घायल भी हो थे. 

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रक्षाबंधन को काला दिन बोलते हैं लोग 

उस घटना के बाद से ही सुराना गांव के रहने वाले लोग रक्षाबंधन के दिन को 'काला दिन' बताते हैं. यहां के स्थानीय लोगों के अनुसार, इस दिन को श्राप लगा हुआ है और इसलिए रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने पर कई परेशानियां भी आ जाती हैं. गाव के लोगों का मानना है कि जब सन 1955 में  भीकमपुर जगत पुरवा गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार मना कर बहन ने भाई की कलाई पर राखी बांधी थी उसी दिन गांव में एक की हत्या हो गई थी. उस दिन के बाद से अभी तक गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है. इस गांव में बहनें रक्षा बंधन पर अपने भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांधती हैं ताकि राखी पर अशुभ घटनाएं न हों. 

इस गांव में भी क्यों नहीं मनाते हैं रक्षाबंधन?

राजस्थान के पाली गांव में पालीवाल ब्राह्मण विक्रम संवत सन् 1291-92 में पाली छोड़कर चले गए थे. वे अपने पूर्वजों को रक्षाबंधन पर पाली में तर्पण करते हैं. इस दिन पूर्वजों के बलिदान देने के कारण लगभग 700 साल बाद भी रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है. स्थानीय लोगों के अनुसार, इन गांवों में रक्षाबंधन न बनाने के पीछे ये अनोखे कारण बताए जाते हैं. 

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