RLD के नेता जयंत चौधरी को अब सपा का साथ रास नहीं आ रहा है. Western UP के ग्रामीण बहुल इलाकों में खासी पकड़ रखने वाली रालोद ने आगामी लोकसभा चुनाव में सपा के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर तालमेल न बैठ पाने के कारण अब केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की अगुवाई वाले राजग गठबंधन के साथ पींगें बढ़ाना शुरू कर दिया है. सियासी गलियारों में चल रही चर्चाओं के मुताबिक राज्यसभा में यूपी की 10 सीटों पर होने जा रहे चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे के साथ ही RLD BJP Alliance पर मुहर लग जाएगी. मतलब साफ है कि राज्यसभा का यह चुनाव रालोद के पाला बदलने का लिटमस टेस्ट साबित होगा. हालांकि तमाम दावों के बीच अभी भी रालोद की भाजपा के साथ जाने की राह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है.
रालोद ने 2022 में हुआ UP Assembly Election सपा के साथ मिलकर लड़ा था. यह गठबंधन 2 साल भी पूरे कर पाता, इसके पहले ही लोकसभा चुनाव के लिए सपा के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर इसमें दरार आने की खबरें सामने आने लगीं. हालांकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 19 जनवरी को ही जयंत के साथ अपनी तस्वीर Social Media पर साझा करते हुए रालोद सपा गठबंधन होने का ऐलान कर दिया था.
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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सपा ने गठबंधन के तहत रालोद को यूपी की 80 में से 7 सीटें (बागपत, बिजनौर, कैराना, मुजफ्फरनगर, मेरठ, मथुरा और हाथरस) रालोद को देने का फैसला किया है. हालांकि इनमें से बिजनौर, कैराना, मुजफ्फरनगर सीटों पर सपा द्वारा रालोद के चुनाव चिन्ह पर अपना उम्मीदवार उतारने की मंशा जताने के कारण रालोद ने गठबंधन से छिटकने के संकेत दे दिए.
दरअसल सपा बिजनौर रुचि वीरा को, कैराना से पूर्व सांसद तबस्सुम हसन की बेटी इकरा हसन और मुजफ्फरनगर से पूर्व सांसद हरिंदर मलिक को रालोद के चुनाव चिन्ह पर टिकट देना चाहती है. जबकि रालोद इन तीन सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारने पर अड़ी है.
इस समय यूपी से Rajya Sabha की 10 सीटों के लिए चुनाव हो रहा है. सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने रालोद को Lok Sabha Election के लिए उसकी पसंद की दो सीटों के अलावा राज्यसभा की भी एक सीट देने की पेशकश कर दी है. अगर रालोद इस शर्त काे मान लेती है तो भाजपा के साथ उसके गठबंधन पर मोहर लग जाएगी.
राज्यसभा की इन सीटों पर चुनाव के लिए नामांकन शुरू हो चुका है. नामांकन की अंतिम तिथि 15 फरवरी है. मौजूदा स्थिति में भाजपा के खाते में 7 और सपा गठबंधन के खाते में 3 सीट जाना तय है. लेकिन भाजपा रालोद गठबंधन की अटकलों ने सपा के लिए राज्यसभा की तीसरी सीट जीतने पर पेंच फंसा दिया है, क्योंकि यह सीट रालोद के समर्थन से ही सपा जीत सकती है. कुल मिलाकर राज्यसभा चुनाव ही रालोद भाजपा गठबंधन के लिए Litmus Test साबित होगा और यह सब कुछ 15 फरवरी के पहले तय हाे जाएगा.
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इस बीच सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने रालोद भाजपा गठबंधन की अटकलों को भ्रामक बताते हुए भरोसा जताया है कि जयंत सपा से नाता नहीं तोड़ेंगे. यादव ने कहा कि रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी भाजपा के साथ जाकर किसानों की लड़ाई को कमजोर नहीं करेंगे.
उन्होंने उम्मीद जताई कि जयंत कहीं नहीं जाएंगे. उन्होंने कहा कि मैं जयंत काे जानता हूं और उनके पिता अजीत चौधरी के साथ भी हमने काम किया है. अजीत जी ने कभी भी किसानों की लड़ाई को कमजोर नहीं होने दिया. जयंत चौधरी भी भाजपा के साथ जाकर किसानों की लड़ाई को कमजोर नहीं होने देंगे.
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