केंद्र सरकार ने रबी सीजन की फसलों की एमएसपी की घोषणा कर दी है. रबी मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए गेहूं का दाम 2275 रुपये प्रति क्विंटल होगा. जबकि सरसों का दाम 5650 रुपये प्रति क्विंटल होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दी है. एमएसपी में सबसे अधिक वृद्धि मसूर (मसूर) के लिए 425 रुपये प्रति क्विंटल की गई है. इसके बाद सरसों के लिए 200 रुपये प्रति क्विंटल की मंजूरी दी गई है. गेहूं और कुसुम के लिए 150-150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है. जौ के लिए 115 और चने के लिए 105 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है.
मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए अनिवार्य रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुसार है, जिसमें एमएसपी को All-India weighted average Cost के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर तय करने की घोषणा की गई है. All-India weighted average Cost पर मार्जिन गेहूं के लिए 102 प्रतिशत है, इसके बाद रेपसीड और सरसों के लिए 98 प्रतिशत है. दाल के लिए 89 प्रतिशत, चने के लिए 60 प्रतिशत, जौ के लिए 60 प्रतिशत और कुसुम के लिए 52 प्रतिशत है. रबी फसलों की इस बढ़ी हुई एमएसपी से किसानों के लिए लाभकारी मूल्य मिलेगा और अलग-अलग फसलों की खेती को बढ़ावा मिलेगा.
रबी सीजन की छह मुख्य फसलों पर सरकार एमएसपी देती है, जिनमें गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों और कुसुम शामिल हैं. एक अप्रैल 2024 से शुरू होने वाले खरीद सीजन में गेहूं का सरकारी दाम 2275 रुपये प्रति क्विंटल होगा. जौ का भाव 1850, चना का दाम 5440, मसूर का दाम 6425, सरसों का 5650 और कुसुम का 5800 रुपये प्रति क्विंटल होगा.
आप पूछेंगे कि फसलों की एमएसपी तय कौन करता है. दरअसल, कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) हर साल रबी और खरीफ फसलों के लिए MSP तय करती है. फिर केंद्र सरकार उसे मंजूरी देती है. सीजन शुरू होने से पहले ही दाम तय कर दिया जाता है, ताकि उसी हिसाब से किसान फसलों की बुवाई करें. उन्हें लगता है कि गेहूं की बुवाई में फायदा है तो गेहूं की बुवाई करें और उन्हें लगता है कि सरसों की खेती में ज्यादा मुनाफा मिलेगा तो फिर सरसों की खेती करें. सीजन शुरू होने से पहले फसलों का सरकारी दाम घोषित होने से किसान यह तय कर पाते हैं उन्हें किस फसल की खेती में ज्यादा फायदा मिलेगा.
रबी फसलों की एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुसार की गई है. जिसमें लागत से कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी तय की जाती है. यानी किसानों को जो लागत आती है उस पर कम से कम 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर एमएसपी तय होती है. केंद्र सरकार ने दावा किया है कि गेहूं की एमएसपी उसकी लागत पर 102 प्रतिशत मार्जिन के साथ तय की गई है. सरसों के लिए 98, मसूर के लिए 89, चने और जौ के लिए 60-60 और कुसुम के लिए 52 प्रतिशत मार्जिन पर एमएसपी तय की गई है. दावा किया गया है कि एमएसपी में वृद्धि से किसानों की आय में वृद्धि होगी.
इसके अलावा, किसान क्रेडिट स्कीम का लाभ हर किसान तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने किसान ऋण पोर्टल, केसीसी घर घर अभियान और वेदर इनफॉरमेशन नेटवर्क डेटा सिस्टम की शुरुआत की है ताकि किसानों को मौसम की जानकारी रियल टाइम में मिल सके. सही समय पर किसानों को मौसम की जानकारी मिले तो वे अपनी खेती-बाड़ी की प्लानिंग कर सकेंगे. यहां तक कि फसलों को मौसमी मार से बचा सकेंगे. सरकार की कोशिश है कि ऐसे कदमों से किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सके.
एमएसपी की घोषणा होने के बाद भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का बयान आया है. उन्होंने एक्स पर जारी एक कमेंट में कहा कि किसानों को घोषित एमएसपी के साथ एमएसपी गारंटी कानून चाहिए. टिकैत ने कहा, केंद्र सरकार ने गेहूं समेत रबी की छह फसलों की MSP घोषित की है. गेहूं का MSP प्रति क्विंटल 150 रुपये की बढ़ोतरी के बाद 2275 रुपये निर्धारित किया है. रबी फसलों की MSP में 2-7% की बढ़ोतरी ने बुवाई से पहले किसान को निराश करने का काम किया है. हमें घोषित MSP के साथ MSP गारंटी कानून चाहिए.
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