आने वाले दिनों में आम जनता के ऊपर फिर से महंगाई की मार पड़ने वाली है. कहा जा रहा है कि चना दाल की कीमत में बहुत अधिक बढ़ोतरी हो सकती है. व्यापारियों का कहना है कि चना दाल की खुदरा कीमत 110 रुपये प्रति किलोग्राम या इससे भी अधिक होने की संभावना है. वर्तमान में चना दाल देशभर के बाजारों में दूसरी सबसे सस्ती दाल है. खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मसूर दाल के अलावा चना दाल ही सबसे सस्ती दाल है. अभी मार्केट में इसकी कीमत 85 से 95 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मूंग, मसूर, अरहर और उड़द जैसी दालों की कीमत 130-140 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक है. उम्मीद है कि इनकी कीमत में अभी बढ़ोतरी नहीं होगी. ये दालें इस वर्ष के अंत तक इसी रेंज में कारोबार करती रहेंगी. दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा 29 फरवरी को जारी खरीफ-रबी सीजन के दूसरे अग्रिम अनुमान में चने का उत्पादन 121.61 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है, जो 2022-23 के 122.67 लाख टन से मामूली कम है. यही वजह है कि चना दाल की कीमतों में बढ़ोतरी की बात कही जा रही है.
चना उत्पादक किसानों और दाल व्यापारियों का कहना है कि इस साल रकबे में गिरावट की वजह से चने का उत्पादन कम होगा. साथ ही रबी सीजन के दौरान नमी की कमी के कारण कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में चने की उपज भी कम होने की रिपोर्ट आई है. वहीं, पिछले कुछ दिनों में ओलावृष्टि और बेमौसम बारिश के कारण तैयार फसल को नुकसान भी पहुंचा है. इससे भी कीमत में उछाल आने की बात कही जा रही है.
महाराष्ट्र में बारिश से 74,000 हेक्टेयर से अधिक रबी कृषि भूमि प्रभावित हुई है. कर्नाटक में, गुलबर्गा के व्यापारियों ने कहा कि उन्हें फंगल रोगों के हमले के कारण पैदावार में 30 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिल रही है, जबकि मध्य प्रदेश से भी यही खबर है. सरकार के पास चने का स्टॉक लगभग 9 लाख टन है जिसे अभी तक मार्केट में जारी नहीं किया गया है.
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लातूर, इंदौर और अकोला में अधिकांश किसान अभी तक अपना रबी चना बाज़ारों में नहीं लाए हैं. लातूर में चने की कीमतें सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,440 रुपये से कहीं अधिक 5,800 रुपये प्रति क्विंटल हैं. लातूर के एक व्यापारी ने कहा कि हमें लगता है कि कीमतें जल्द ही 6,000 रुपये प्रति क्विंटल को पार कर जाएंगी. आवक वास्तव में कम है, क्योंकि किसान ऐसा होने का इंतजार कर रहे हैं. उम्मीद से कम पैदावार के कारण चना दाल की कीमतें बढ़ने वाली हैं. मिलों का कहना है कि चना दाल जल्द ही अन्य दालों की कीमत सीमा में शामिल हो सकती है.
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