तेलंगाना की 119 सीटों पर 30 नवंबर को मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया. सीटों के लिहाज से देखें तो चुनाव वाले 5 राज्यों में 230 सीट के साथ एमपी सबसे बड़ा राज्य है. एमपी में 17 नवंबर को मतदान हो चुका है. वहीं, छत्तीसगढ़ एकमात्र राज्य था, जिसमें चुनाव आयोग को दो चरणों में मतदान कराना पड़ा. इसकी वजह छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा की समस्या है. इस कारण आयोग ने नक्सल प्रभावित 20 सीटों पर 07 नवंबर को और शेष 90 सीटों पर 17 नवंबर को मतदान कराया था. इसके अलावा राजस्थान की 200 में से 199 विधानसभा सीट पर 25 नवंबर को तथा मिजोरम की सभी 40 सीट पर 7 नवंबर को मतदान हुआ. अब सभी की निगाहें 3 दिसंबर को होने वाली मतगणना पर टिकी हैं. आयोग की तरफ से बताया गया इन सभी 5 राज्यों में मतगणना की तैयारी पूरी कर ली गई हैं.
लगभग 1 महीने से ज्यादा समय तक चली चुनाव प्रक्रिया में शुरुआती दौर के मतदान वाली सीटों के चुनाव परिणाम के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ गया. इनमें छत्तीसगढ़ की पहले चरण में मतदान वाली 20 सीट और मिजोरम की 40 सीटों के चुनाव परिणाम के लिए इंतजार की अवधि 25 दिन हो गई. वहीं इन 5 राज्यों में सबसे ज्यादा सीटों वाले एमपी में भी चुनाव परिणाम के लिए 16 दिन का इंतजार करना पड़ेगा.
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साल 2008 के चुनाव में मतदान और मतगणना के बीच का अंतराल 11 दिन हो गया, जबकि 2013 और 2018 के चुनाव में इंतजार का समय बढ़कर 13 दिन हो गया. अब इस चुनाव में एमपी वालों को चुनाव परिणाम के लिए 16 दिन इंतजार करना पड़ा.
निर्वाचन प्रक्रिया से जुड़े नियमों के मुताबिक एक से अधिक राज्यों में एक साथ चुनाव कराए जाने पर चुनाव कार्यक्रम कुछ इस प्रकार बनाया जाता है, जिसमें मतदान भले ही अलग अलग तारीखों में हो, लेकिन मतगणना एक साथ कराई जाती है. इसकी वजह एक राज्य के चुनाव परिणाम से दूसरे राज्य का मतदाताओं को किसी पार्टी के बारे में प्रभावित होने से बचाना है. स्पष्ट है कि दो या दो से अधिक राज्यों में एक साथ चुनाव होने पर यदि किसी राज्य में चुनाव परिणाम पहले घोषित कर दिया जाएगा तो उस राज्य में जीतने या हारने वाले दल के बारे में दूसरे राज्यों के मतदाता अपना विचार बदल सकते हैं. इसलिए चुनाव आयोग ने निर्वाचन प्रक्रिया में एक साथ मतगणना कराने का प्रावधान किया है.
एमपी में विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को हुए मतदान में मत प्रतिशत के सभी पुराने रिकॉर्ड टूट गए. चुनाव आयोग के अनुसार राज्य सभी 230 सीटों के लिए हुए मतदान में राज्य के 77.15 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर कुल 2533 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद कर दिया.
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एमपी में इस बार के चुनाव में यह अब तक का सर्वाधिक मतदान था. इसमें रोचक बात यह रही कि महिलाओं ने भी इस बार पिछले रिकॉर्ड ध्वस्त करते हुए 76.03 प्रतिशत मतदान किया. महिलाओं के रिकॉर्ड मतदान के बारे में जानकारों की अलग अलग राय है. चुनावी विश्लेषकों के एक वर्ग का मानना है कि यह भाजपा सरकार की लाड़ली बहना और लाड़ली लक्ष्मी योजनाओं का असर है, जिससे प्रभावित होकर महिलाएं, खासकर ग्रामीण इलाके की महिलाओं ने मतदान में ज्यादा हिस्सेदारी की. वहीं दूसरी ओर दूसरा मत यह भी है कि ग्रामीण और शहरी इलाकों में महिलाओं की सुरक्षा कमजोर पड़ने, अपराध बढ़ने और सरकारी योजनाओं का लाभ वांछित वर्गों तक न पहुंचने के कारण महिलाओं ने नाराज होकर ज्यादा मतदान किया. इसे Anti Incumbency का ही एक रूप बताया जा रहा है.
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