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पीएम कुसुम योजना के बारे में जानें 10 बड़ी बातें, आवेदन करने का प्रोसेस भी पढ़ लें

पीएम कुसुम योजना के बारे में जानें 10 बड़ी बातें, आवेदन करने का प्रोसेस भी पढ़ लें

PM-KUSUM योजना ऐसी ही योजना है जो पूरे देश के किसानों को सस्ती और सुलभ बिजली देने के लिए शुरू की गई है. योजना के तहत किसानों को सौर ऊर्जा वाले पंप दिए जाते हैं. इसके जरिए बिजली और डीजल पर किसानों की निर्भरता कम करने का प्रयास किया जा रहा है.

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पीएम कुसुम योजना (सांकेतिक तस्वीर) पीएम कुसुम योजना (सांकेतिक तस्वीर)

देश के किसानों के लिए कई सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसी में एक प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) योजना भी है. यह एक ऐसी ही योजना है जो पूरे देश के किसानों को सस्ती और सुलभ बिजली देने के लिए शुरू की गई है. योजना के तहत किसानों को सौर ऊर्जा वाले पंप दिए जाते हैं. इसके जरिए बिजली और डीजल पर किसानों की निर्भरता कम करने का प्रयास किया जा रहा है. इस योजना से किसानों का खर्च बचता है, लागत कम होती है. इस योजना की कई विशेषताएं हैं जिनके बारे में नीचे दिए गए पॉइंट्स में जान लेते हैं. पढ़ें योजना से जुड़ी 10 बड़ी बातें.

  • किसानों को डीजल और बिजली से मुक्त करना, साथ ही स्वच्छ ऊर्जा के जरिए किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना, उनकी आय को बढ़ाना और पर्यावरण के प्रदूषण को कम करना इस योजना का उद्देश्य है. 
  • पीएम कुसुम योजना के तहत किसान अपनी जमीन पर 10,000 मेगावाट तक के सौर ऊर्जा से बिजली से चलने वाले प्लांट लगा सकते हैं. साथ ही सौर ऊर्जा संचालित मोटर पंप लगा सकते हैं.
  • योजना के तहत किसी व्यक्तिगत किसान, जल उपयोगकर्ता संघ, पैक्स या फिर समूह और कलस्टर आधारित सिंचाई प्रणाली का लाभ मिल सकता है. 
  • पीएम-कुसुम योजना योजना के तहत वित्तीय सहायता उपलब्ध है. इसमें किसानों को सब्सिडी भी दी जाती है.

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  • योजना के तहत सौर ऊर्जा से संबंधित उपकरण खरीदने के लिए डिस्कॉम को 40 पैसे प्रति किलोवाट या 6.60 लाख रुपये प्रति मेगावाट प्रति वर्ष, जो भी कम हो, की दर से इंसेंटिव दिए जाते हैं. 
  • खरीद आधारित इंसेंटिव डिस्कॉम को प्लांट के कमर्शियल संचालन की तारीख से पांच साल की अवधि के लिए दिया जाता है. इसलिए, DISCOMs को देय कुल खरीद आधारित प्रोत्साहन राशि 33 लाख रुपये प्रति मेगावाट है. 
  • अगर कोई किसान व्यक्तिगत तौर पर सौर ऊर्जा प्लांट लगाना चाहता है कि तो इसके लिए उसे नवीन और नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी बेंचमार्क लागत का 30 प्रतिशत भुगतान करना पड़ता है. हालांकि, सिक्किम, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड, लक्षद्वीप और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह  सहित उत्तर पूर्वी राज्यों में, एमएनआरई द्वारा जारी बेंचमार्क लागत का 50 फीसदी केंद्रीय वित्तीय सहायता के साथ उपलब्ध है.
  • इसके अलावा, संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को लाभार्थी को कम से कम 30 प्रतिशत वित्तीय सहायता देनी होगी. बाकी लागत का योगदान लाभार्थी द्वारा किया जाएगा. पीएम कुसुम योजना के कुछ नियमों को राज्य की 30 फीसदी हिस्सेदारी के बिना भी लागू किया जा सकता है. केंद्रीय वित्तीय सहायता 30 प्रतिशत बनी रहेगी और शेष 70 फीसदी का वहन किसान द्वारा किया जाएगा.
  • कृषि फीडर सोलराइजेशन के लिए 1.05 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट तक की केंद्रीय वित्तीय सहायता दी जाती है . भाग लेने वाले राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से वित्तीय सहायता की कोई अनिवार्य आवश्यकता नहीं है. फीडर सोलराइजेशन को CAPEX या RESCO मोड में लागू किया जा सकता है.
  • केंद्रीय बिजली और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया था कि  8 फरवरी 2024 तक, पीएम-कुसुम योजना के तहत 2.95 लाख से अधिक स्टैंडअलोन ऑफ-ग्रिड सौर जल पंप स्थापित किए गए. 

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कैसे करें आवेदन

  • सबसे पहले राज्य की कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं.
  • होम पेज पर पीएम कुसुम पंजीकरण के ऑप्शन पर क्लिक करें.
  • आपके सामने पीएम कुसुम आवेदन फार्म आएगा.
  • आवेदन फार्म में मांगी गई जानकारी दर्ज करें.
  • अब दस्तावेजों को अपलोड करें.
  • अब सबमिट के ऑप्शन पर क्लिक कर दें.