तालाब में हैं पौधे और जानवर तो सही से नहीं होगा मछलियों का विकास, रुक जाएगी वजन की बढ़ोतरी भी

तालाब में हैं पौधे और जानवर तो सही से नहीं होगा मछलियों का विकास, रुक जाएगी वजन की बढ़ोतरी भी

भारत समेत पूरी दुनिया में आबादी तेजी से बढ़ रही है. इस आबादी के लिए भोजन उत्‍पादन बढ़ाना भी एक अहम चुनौती है. विशेषज्ञों के मुताबिक भोजन की कमी की समस्‍या को दूर करने के लिए एक तरीका यह भी है कि प्राकृतिक संसाधनों जैसे तालाब में ज्‍यादा से ज्‍यादा मछलियां पकड़ी जाएं.

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तालाब में हैं पौधे और जानवर तो सही से नहीं होगा मछलियों का विकास, रुक जाएगी वजन की बढ़ोतरी भीप्रतिकात्‍मक तस्‍वीर

भारत समेत पूरी दुनिया में आबादी तेजी से बढ़ रही है. इस आबादी के लिए भोजन उत्‍पादन बढ़ाना भी एक अहम चुनौती है. विशेषज्ञों के मुताबिक भोजन की कमी की समस्‍या को दूर करने के लिए एक तरीका यह भी है कि प्राकृतिक संसाधनों जैसे तालाब में ज्‍यादा से ज्‍यादा मछलियां पकड़ी जाएं. रुके हुए मीठे, खारे या फिर समुद्री पानी में मछली के संवर्धन के काम को ही मछली पालन कहते हैं. लेकिन मछली पालन भी एक बेहद चुनौतीभरा और ध्‍यान देने वाला काम है. अगर आपने इसमें जरा भी लापरवाही बरती तो फिर आपको अच्‍छा खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है. 

जीव-जंतु तालाब के पानी में 

अक्‍सर लोग उस तालाब को नजरअंदाज कर देते हैं जिसमें वह मछली पालन का लक्ष्‍य रखते हैं. आमतौर पर गांव के तालाबों में पानी का एकमात्र साधन होता है तालाब. लेकिन बारिश के मौसम में बाढ़ के पानी के साथ कई तरह के जीव भी इस तालाब के पानी में प्रवेश कर जाते हैं. ये जीव मछली पालन के लिए सही नहीं होते हैं. इनमें कछुआ, सांप या फिर मेढक जैसे जीव शामिल होते हैं. ये जीव तालाब में सही तरह से मछली पालन में बाधा डालते हैं. ये जीव मछली को सीधे तौर पर प्रयोग करते हैं. साथ ही मछली की खुराक को भी खा जाते हैं. इस तरह से ये जीव मछलियों के लिए काफी हानिकारक साबित होते हैं. 

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तालाब से निकाल दें इन जीवों को 

ऐसे में यह जरूरी है कि इन जीवों को पूरी तरह से तालाब से निकाल दिया जाए. ऐसे गैर-जरूरी जीव जंतुओं को तालाब से निकालने के लिए कई तरह की विधियों का प्रयोग होता है. इनमें एक है कि जाल डालकर इन्‍हें बाहर निकाल देना और फिर नष्‍ट कर देना. इसके अलावा रासायनिक पदार्थों का प्रयोग करके भी इन्‍हें नष्‍ट किया जा सकता है. लेकिन ऐसे करने से तालाब का पानी जहरीला हो सकता है. ऐसे में बेहतर होगा कि जाल की मदद से ही इन जीवों को बाहर निकाला जाए.

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महुआ की खल का प्रयोग 

इसके अलावा महुआ खल की मदद से भी इन जीवों को नष्‍ट किया जा सकता है. यह बाद में खाद के तौर पर भी प्रयोग की जा सकती है. कई राज्‍यों में महुआ के पौधे भी मिलते हैं. इन पौधों की मदद से तालाब के जीव-जंतु तो नष्‍ट होते ही हैं साथ ही साथ खाद के तौर पर भी इनका फायदा मिलता है. महुआ की खली का घोल 2500 रुपए प्रति किलोग्राम है और इस वजह से इसे इस काम के लिए ठीक समझा जाता है.  इस बात का भी ध्‍यान रखें कि तालाब के पानी में बहुत ज्‍यादा पानी वाले पौधे न हो. अगर ऐसा है तो फिर उन्‍हें निकाल दीजिए. नहीं तो मछलियों का विकास ठीक से नहीं होगा. 

 

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