उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में बाघ का आतंक जारी है. रहमानखेड़ा स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (CISH) के जंगल में आमद के बाद 24 दिनों से बाघ (Tiger) आजाद घूम रहा है. ट्रैप कैमरों से लेकर पिंजरा रखे जाने और मचान से नजर रखे जाने के बावजूद बाघ की सही लोकेशन नहीं मिल पा रही है. इस दौरान यह बाघ कई बार लोगों के घरों और खेतों में घुस चुका है, जिससे ग्रामीणों में दहशत बढ़ गई है. मामले में लखनऊ के डीएफओ सितांशु पांडेय ने बताया है कि रहमानखेड़ा में बाघ, वन्य जीव द्वारा जिस स्थल पर जंगली सुअर का शिकार किया गया था. पेट्रोलिंग टीम द्वारा उस स्थल पर निगरानी रखी जा रही है. वर्तमान में 3 टीमों द्वारा वेटरनरी डॉक्टर के साथ जंगली सुअर वाले स्थल पर और 1 टीम जहां पर सांड़ का शिकार किया गया था, उस स्थल पर टीम लगायी गयी है. उन्होंने बताया कि कंट्रोल रूम में सूचना प्राप्त होने पर तत्काल कार्यवाही की जा रही है.
डीएफओ ने आगे बताया कि सीआईएसएच संस्थान के पीछे मीठे नगर गांव जाने वाले मार्ग के पास के जंगल में बाघ की मूवमेंट का पता चला था. यहां एक सांड़ का शिकार भी किया था. इस बीच दोपहर बाद सहिलामऊ गांव की तरफ रेलवे लाइन के पास बाघ देखे जाने की सूचना मिली. डीएफओ के अनुसार दोपहर बाद करीब साढ़े तीन बजे रेलवे लाइन के पास बाघ देखे जाने की सूचना पर टीम पहुंची थी, लेकिन सफलता नहीं मिली.
डीएफओ सितांशु पांडेय ने बताया कि बाघ पकड़ने में कुल 35 लोगों की टीम जुटी है. पांच टीमें वन विभाग की हैं, जो 12 दिसंबर से हर मूवमेंट पर नजर रख रही हैं. तीन टीमें अवध वन प्रभाग और दो टीमें हरदोई और सीतापुर वन प्रभाग की हैं. इसके अलावा वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की टीम भी 15 दिसंबर से बाघ के मूवमेंट पर नजर रखे हैं. 21 दिसंबर से बाघ को ट्रैंकुलाइज करने के लिए दो वन्य जीव चिकित्सकों की टीम भी लगाई गई है. इनमें एक लखनऊ जू और एक कानपुर जू से टीम है. अब पीलीभीत से भी टीम आ गई है.
वन्य जीव विशेषज्ञों के मुताबिक बाघ का ज्यादातर मूवमेंट रात के समय है. डीएफओ ने बताया कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की एसओपी के मुताबिक वन कर्मचारियों की सुरक्षा के लिहाज से बाघ को रात में ट्रैंकुलाइज नहीं किया जा सकता हैं. रहमानखेड़ा का जंगल भी बहुत घना है. ऐसे में सुबह से शाम की बीच मूवमेंट ट्रेस करने में दिक्कत आ रही है.
पगमार्क और किए गए शिकारों से मौजूदगी की पुष्टि तो हो रही है, लेकिन केवल रात के समय ही दिखता है. ऐसे में पकड़ने में दिक्कत आ रही है. इंसानी बस्तियों में आने वाले बाघों को लेकर कई बार कॉलर आईडी लगाने की बात उठ चुकी है. ताकि जंगल में छोड़ने के बाद मूवमेंट पर नजर रखी जा सके. वहीं दुधवा नेशनल पार्क से एक हाथी को बुलाया है. यह हाथी अब इस बाघ को पकड़ने में मदद करेगा.
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