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पंजाब में खेती के लिए लेबर मिलना मुश्किल, देसी दारू और भोजन-पानी का करना पड़ रहा इंतजाम

पंजाब में खेती के लिए लेबर मिलना मुश्किल, देसी दारू और भोजन-पानी का करना पड़ रहा इंतजाम

किसानों को मजदूरों के पशुओं के लिए मुफ्त चारा का इंतजाम करना पड़ रहा है. साथ ही उनके लिए भोजन और देसी दारू की व्यवस्था तक करनी पड़ रही है. शहर के बाहरी इलाकों में बसे गांवों के किसानों का कहना है मजदूरों की मांग के कारण प्रति एकड़ मजदूरी का शुल्क करीब 5,000 रुपये तक पहुंच गया है.

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पंजाब में धान रोपाई के लिए नहीं मिल रहे मजदूर (सांकेतिक तस्वीर) पंजाब में धान रोपाई के लिए नहीं मिल रहे मजदूर (सांकेतिक तस्वीर)

खरीफ का सीजन शुरू होने वाला है, अब कुछ ही दिनों बाद बारिश शुरू होने वाली है. भीषण गर्मी में पंजाब में धान की रोपाई की जा रही है. धान की रोपाई तो चल रही है, पर इन दिनों किसान एस गंभीर संकट से जूझ रहे हैं जो कृषि में एक बड़ा संकट है. गर्मी में किसान मजदूरों की कमी झेल रहे हैं. इसके कारण ना केवल मजदूरों ने अपनी मजदूरी बढ़ा दी है, वे काम पर भी आने से इनकार कर रहे हैं. इसके कारण किसानों को मजदूरों से काम लेने के लिए कई तरह का प्रोत्साहन देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. प्रोत्साहन में कई तरह के लालच मजदूरों को दिए जा रहे हैं ताकि समय पर किसानों के धान की रोपाई हो जाए. इससे किसानों की परेशानी के साथ खेती में खर्च भी बढ़ रहा है.

दैनिक द ट्रिब्यून की खबर के अनुसार किसानों को मजदूरों के पशुओं के लिए मुफ्त चारा का इंतजाम करना पड़ रहा है. साथ ही उनके लिए भोजन और देसी दारू की व्यवस्था तक करनी पड़ रही है. शहर के बाहरी इलाकों में बसे गांवों के किसानों का कहना है मजदूरों की मांग के कारण  प्रति एकड़ मजदूरी का शुल्क करीब 5,000 रुपये तक पहुंच गया है. भीषण गर्मी के दौरान धान की रोपाई के लिए मजदूरों की कमी ने न केवल मजदूरी बढ़ा दी है, बल्कि किसानों को कई तरह के इंसेंटिव देने के लिए भी मजबूर होना पड़ रहा है, चाहे वह उनके पशुओं के लिए मुफ्त चारा हो, भोजन हो या फिर 'देसी दारू'.

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किसानों का बढ़ा खर्च

जंडियाला के हरमन सिंह चौहान ने कहा कि हर किसान चाहता है कि उनका काम जल्द से जल्द पूरा हो जाए. पर इस बीच खेत में काम करने वाले किसानों की संख्या पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि यह पहला साल नहीं है जब मजदूरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है. पिछले कुछ सालों से धान की रोपाई करने के लिए प्रवासी मजदूरों की उपलब्धता कम हुई है. उन्होंने बताया कि हवाई अड्डे के पास ताबोवाली गांव में किसान अपने खेत में काम करने वाले मजदूरों को चारे और अन्य प्रोत्साहनों के साथ प्रति एकड़ 4,500 से 5,000 रुपये तक का भुगतान कर रहे हैं. किसान साहिब सिंह ने बताया कि अगर पुरुषों को शाम को देशी शराब पिलाई जाती है, तो महिला श्रमिकों को उनका पसंदीदा भोजन दिया जाता है. तब किसानों के खेत में काम हो रहा है.

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बड़े किसानों का जल्दी हो रहा काम

वहीं कुछ किसानों ने यह भी कहा कि जो बड़े जमींदार किसान हैं उनका काम पहले और समय से हो जा रहा है क्योंकि मजदूर भी उन लोगों के लिए काम करना पसंद करते हैं जो उन्हें अधिक भुगतान करते हैं. इसलिए वो बड़े जंमीदारों के यहां काम कर रहे, उनका काम जल्दी पूरा हो रहा है. गुरदासपुर के सैनियान गांव के जसप्रीत सिंह बताते हैं कि प्रवासी मजदूरों को रहने के लिए जगह के साथ-साथ मुफ्त राशन भी दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर यह सभी गांवों में लागू किया जाने वाला नियम है, जहां श्रमिकों को मजदूरी के साथ-साथ अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं.