भारत ने पाकिस्तान में कई आतंकी ठिकानों पर हमला बोला है. इसे ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) का नाम दिया गया है. जिन जगहों पर भारतीय फौज ने हमला बोला है, उनमें एक स्थान सियालकोट भी है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में सियालकोट का बड़ा रोल है क्योंकि यहां कई फसलों की खेती बड़े पैमाने पर होती है जिससे यहां के आम लोगों का पेट भरता है. साथ ही अनाजों और कृषि उत्पादनों का निर्यात भी होता है. इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है. जिस सियालकोट पर फौज ने हमला बोला है, वहां किन फसलों की खेती होती है और उसका पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में क्या रोल है, आइए जान लेते हैं.
पाकिस्तान की अर्थव्यस्था में खेती का बड़ा रोल है जो जीडीपी में 21 फीसद का योगदान देती है. इसमें लगभग 3 परसेंट की हर साल ग्रोथ देखी जाती है. पाकिस्तान के ग्रामीण इलाकों में 44 फीसद लोगों को खेती में रोजगार मिलता है जबकि पाकिस्तान के 62 परसेंट लोग खेती की मजदूरी में लगे हुए हैं. यहां के लोग घर के खर्च के साथ बिजनेस के लिहाज से भी खेती की कमाई पर भरोसा करते हैं. यही वजह है पाकिस्तान की खेती-बाड़ी अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाती है. गरीबी घटाने, खाद्य सुरक्षा, औद्योगिक क्रांति और आर्थिक वृद्धि के लिए यहां खेती का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है.
पाकिस्तान में 220 लाख एकड़ क्षेत्र में खेती होती है जबकि 80 लाख एकड़ बिना खेती की जमीन है. सियालकोट में 30 लाख एकड़ से अधिक इलाके में खेती होती है. पंजाब प्रांत के उत्तर पूर्व में स्थित सियालकोट खेती में अहम स्थान रखने के अलावा उद्योग के मामले में भी मशहूर है. पाकिस्तान के तीन प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में एक सियालकोट भी है. यहां के उद्योग बड़े पैमाने पर कृषि पर आधारित हैं. खेती की बात करें तो यहां गेहूं, गन्ना, आम, तंबाकू, मोटा अनाज, सब्जी, फल और धान की खेती होती है.
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सियालकोट की प्रमुख फसलों में गेहूं, कपास, धान और गन्ने का नाम है. यहां की प्रमुख फसलें जीडीपी में 6.5 फीसदी की हिस्सेदारी रखती हैं जबकि कम खेती की जाने वाली फसलों का जीडीपी में रोल 2.3 परसेंट है. हालांकि इन फसलों की खेती के बावजूद यहां भूख की समस्या बड़ी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां की 48 फीसदी आबादी खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों से जूझ रही है. इसकी वजह है दिनों दिन बढ़ती आबादी और प्राकृतिक संसाधनों जैसे जमीन और पानी के स्रोत का कम होना.
सियालकोट के किसान मुख्य रूप से बासमती चावल, गेहूं और गन्ना उत्पादन पर ध्यान लगाते हैं जबकि गेहूं भी प्रमुख फसल रही है जिसकी खेती में गिरावट आई है. केले, सेब और संतरे जैसी अन्य छोटी फसलें भी उगाई जाती हैं. सियालकोट खेल के सामान, सर्जरी के उपकरणों और अन्य वस्तुओं के निर्माण और निर्यात के लिए भी जाना जाता है.
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