देश में साल में एक बार प्याज की कीमते जरूर बढ़ती है, यह एक रिवाज बन गया है. मौसम के बदले मिजाज के कारण अब हर साल प्याज की पैदावार प्रभावित होती है, इसका फायदा बड़े व्यापारी उठाने की कोशिश करते हैं. हार साल की तरह इस साल भी प्याज की कीमत 80 रुपये किलो तक पहुंच गई.. खुदरा बाजार में प्याज 80 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है. वही राजधानी दिल्ली की बड़ी मंडियों में 40 किलो वाली प्याज की बोरी एक हजार से लेकर 1800 रुपए प्रति प्रति बोरी की दर से बिक रही है. जबकि रेहड़ी और स्थानीय बाजारों में प्याज 60 से 80 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है. जो खराब क्वालिटी का प्याज है वह 60 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है और अच्छी क्वालिटी का प्याज 80 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है.
गाजीपुर मंडी में देश के अलग-अलग हिस्सों से प्याज की बड़ी खेप आती है. फिर यहां से पूरे एनसीआर में सप्लाई की जाती है. गाजीपुर मंडी के प्रधान और बड़े व्यापारी आबिद अली बताते हैं कि कर्नाटक से आने वाली फसल में देरी हो रही है, जबकि महाराष्ट्र के पुणे और नासिक से आने वाली प्याज मे हो रही कमी के कारण प्याज की कीमतें बढ़ रही है. हालांकि सरकार मानती है कि व्यापारियों ने त्योहारों का फायदा उठाते हुए प्याज की कीमतों को बढ़ाने के लिए उत्पादन में आई किल्लत का फायदा उठाया और आपदा में अवसर खोजते हुए जमाखोरी शुरू की.
नई फसल तैयार हो रही है और राजस्थान के अलवर से नई फसल आनी शुरू हो गई है. जल्दी ही मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से भी नई फसल आनी शुरू हो जाएगी. ऐसे में अगले 15 दिनों में प्याज की कीमतें कम हो सकती हैं. हालांकि राजस्थान के अलवर से आने वाली प्याज से कीमतों पर असर नहीं हुआ है. अलवर से प्याज की नई खेप लेकर गाज़ीपुर मंडी पहुंचे किसान अब्दुल खान ने बताया कि वो अपनी प्याज 35 से 40 रुपए प्रति किलो की दर से बेच रहे हैं. इस तरह से रसोई घर तक पहुंचते-पहुंचते प्याज की कीमत कीमत 80 से 100 रुपये प्रति किलो हो जाती है. बावजूद इसके अब्दुल खान जैसे किसन कहते हैं कि उन्हें अभी भी पर्याप्त कीमत नहीं मिल रही है क्योंकि माल भाड़ा मजदूरी मिलकर उनकी लागत इससे कहीं ज्यादा है.
मंडी के व्यापारी आबिद अली कहते हैं कि इस बीच सरकार ने नेशनल कंज्यूमर कोऑपरेटिव फेडरेशन यानी एचसीएफ के जरिए बड़ी मात्रा में लोगों तक 25 रुपए प्रति किलो की दर से ब्याज पहुंचाई है और अगर एचसीएफ नहीं होता तो प्याज की कीमतें और भी ज्यादा बढ़ सकती थीं. नेशनल कंज्यूमर कोऑपरेटिव फेडरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर एनिस जोसेफ बताती हैं कि सरकार ने सबसे पहले जमाखोरी पर रोक लगाई साथ ही घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ाने के लिए निर्यात पर नियंत्रण लगाया है.
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नेशनल कंज्यूमर कॉपरेटिव फेडरेशन की मैनेजिंग डायरेक्टर एनीस जोसेफ ने आज तक को बताया है कि अगले 15 दिनों के भीतर प्याज की कीमतें खुद-ब-खुद बाजार में कम हो जाएंगी. क्योंकि करनाल के साथ-साथ राजस्थान के अलवर में महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में प्याज की नई फसल तैयार हो चुकी है और बाजार में इसकी नई खेप आ रही है. इसके कारण कीमतों पर असर पड़ेगा और प्याज सस्ती हो जाएगी. उपभोक्ता मंत्रालय के अधीन आने वाले इस उपक्रम का कहना है की छुट्टियों के चलते ज्यादातर बड़ी मंडियां बंद है, जिससे सप्लाई और डिलीवरी चेन का मेकैनिज्म गड़बड़ा गया है लेकिन जल्दी ही हालात सामान्य हो जाएंगे.
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