ओडिशा के कालाहांडी जिले मे कपास की खरीद शुरू हो गई है और पूरे जोरों पर हैं. पर इसके बावजूद किसान काफी चिंतित हैं क्योंकि कसानों को कथित तौर पर कपास का सही समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है. इसके कारण किसान कम कीमतों पर कपास की बिक्री करने के लिए मजबूर हैं. इस बार कालाहांडी जिले में 71,880 हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की खेती की गई है. इसमें प्रमुख कपास उत्पादन क्षेत्र भवानीपटना में 25,000 हेक्टेयर में इसकी खेती की गई थी. जबकि केसिंगा में 17,000 हेक्टेयर और गोलमुंडा में15,530 हेक्टेयर में कपास की खेती की गई थी. इसके अलावा कालाहांडी जिले में नरला, कार्लामुंडा, धरमगढ़, लांजीगढ़ और एम रामपुर में कपास की खेती की जाती है.
कालाहांडी जिले में भारतीय कपास निगम की तरफ कपास की खरीदारी शुरू की गई है. करलापाड़ा से यह खरीद शुरू की गई है. हालांकि कथित तौर पर खरीदारी के पहले दिन सिर्फ आठ किसानों ने ही किसान मंडी में अपनी उपज बेचने आए थे. पहले दिन में किसानों को कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7020 रुपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिला. इस दर पर 125 क्विटल कपास की खरीद की गई. इधर रंगसापाली और पदमपुर के किसानों ने शिकायत की कि उन्हें बाजार में कपास का उचित समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है जिसके कारण वे अपना कपास निजी व्यापारियों को कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर हैं.
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द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पदमपुर के कपास किसान मांचू दलपति और रेंगसापाली के किसान रामेश्वर धरुआ ने कहा उनके सबसे पास वाली मंडी उत्चला में अभी तक कपास की खरीद शुरू नहीं की गई है. इस वजह से सभी किसान अपनी उपज को एमएसपी से भी कम कीमत पर निजी व्यापारियों को 5000 रुपये से 6000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अपने कपास बेचने के लिए मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि भारत सरकार की तरफ से कपास के लिए निर्धारित एमएसपी की दर से दाम मिलना उनके लिए एक दूर का सपना है. उन्होंने कहा कि इसी तरह की शिकायत भवानीपटना और केसिंगा ब्लॉक के किसानों ने की थी.
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भवानीपटना आरएमसी के सचिव रबी शंकर भितरिया ने कहा कि इस साल मंडियों में भारतीय कपास निगम की अधिकतम भागीदारी रहने की उम्मीद है. साथ ही कहा कि कालाहांडी का अधिकांश कपास गुजरात, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में ले जाया जाता है, लेकिन इस साल निर्यात सुस्त होने के कारण बाजार में मंदी है. उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार हो सकता है.
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