ओडिशा में झींगा पालकों की मनमानी सांकेतिक तस्वीरओडिशा के गंजम जिले में झींगा पालकों की कापरवाही का नतीजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. झींगा पालन के कारण उनके खेतों में फसलों को काफी नुकसान हुआ है. अब इसके खिलाफ किसान एकजुट हो रहे हैं. गंजम जिले के चिकिती प्रखंड के किसानों का आरोप हैं कि प्रखंड में अवैध तरीके से झींगापालन किया जाता है. जहां झींगा फार्मों से हानिकारक पदार्थ बाहर छोड़ दिए जाते हैं, इसके कारण समुद्री तटीय इलाकों में बसे गांवों में सैंकड़ों एकड़ खेत में खड़ी फसल नष्ट हो गई है. फसल नुकसान होने से नाराज चिकिती प्रखंड के सुनापुर, सुरला, काटुरु, सुवनी और एकसिंगी पंचायतों के 30 से अधिक किसान स्थानीय राजस्व निरीक्षक कार्यालय के पास पहुंचे और झींगा पालकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर गंजम के कलेक्टर समेत चिकिती प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी और तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा.
विरोध कर रहे किसानों का आरोप है की झींगा पालक किसानों की लापरवाही के कारण उनके खेत खराब हो रहे हैं. झींगा फार्म से फेके गए कचरे से खेती योग्य जमीन का बड़ा हिस्सा बेकार हो गया है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार किसानों ने इस दौरान आंध्र प्रदेश और कर्नाटक का भी उदाहरण दिया और बताया कि किस तरह से प्रभावशाली लोगों ने इन दोनों राज्यों में सरकारी और वन भूमि के बड़े हिस्से को जबरदस्ती झींगा फार्म में बदल दिया है. किसानों का कहना है कि झींगा पालक उनके खेतों में कब्जा करना चाहते हैं इसलिए वो ऐसी तरकीब अपना रहे हैं.
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आर सुवनी गांव के किसान दीनदयाल रेड्डी ने कहा कि झीगां मालिक जानबुझकर उनके खेतों में कब्जा करने के उद्देश्य से नहरों के माध्यम से धान खेतों में गंदा पदार्थ बहा रहे हैं, इसके कारण कटाई के सीजन में खेतों में पानी भर जा रहा है और किसानों की फसल बर्बाद हो रही है. पर इसके बावजूद प्रशासन की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है. उन्होंने बताया साल 2016 से किसान झींगा पालकों का विरोध कर रहे हैं. वहीं एक अन्य किसान डी सत्यनारायण ने कहा कि उन्होंने जिला प्रशासन से अवैध झींगा फार्मों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने और फसलों को बचाने का आग्रह किया था, लेकिन उनकी एक बात भी नहीं सुनी गई.
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वहीं के सुवनी के सरपंच ने जिबानंद रेड्डी ने दावा किया कि झींगा माफिया भारी पैसे कमा रहे हैं और इसलिए कोई भी उनका विरोध करने की हिम्मत नहीं करता है क्योंकि उनके गुर्गे उनके फार्म की रखवाली करते हैं. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस मामल को लेकर वो कलेक्टर से मिलेंगे और समस्या का समाधान करने की मांग करेंगे. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस खरीफ सीजन की शुरुआत में स्थानीय किसानों ने प्रशासन से झींगा फार्मों से निकलने वाले कचरे को रोकने की अपील की थी. पर प्रशासन की तरफ से किसानों की शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया गया इसके कारण 300 एकड़ से अधिक जमीन पर धान की फसल बर्बाद हो गई. वहीं चिकिती के तहसीलदार ने कहा कि सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार क्षेत्र में कोई झींगा फार्म मौजूद नहीं है. फिर भी वो किसानों के आरोपों पर गौर करेंगे.
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