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खेती-किसानी से दूर भाग रहे ओडिशा के किसान, मिलेट की पैदावार पर गहरा सकता है संकट

खेती-किसानी से दूर भाग रहे ओडिशा के किसान, मिलेट की पैदावार पर गहरा सकता है संकट

धान खरीद में देरी, धान खरीद में जिला प्रशासन की उपेक्षा, सिंचाई सुविधाओं में कमी और मौसम की मार के बीच फसलों में कीटों के प्रकोप और इससे संबंधित समस्याओं से किसानों को पीछे होने पर मजबूर कर दिया है. इसके कारण खेती में उनकी रुचि घटती जा रही है. सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार ने भी किसानों की कम होती संख्या पर चिंता जाहिर की है.

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ओडिशा के किसान (सांकेतिक तस्वीर) ओडिशा के किसान (सांकेतिक तस्वीर)

ओडिशा की गिनती कृषि प्रधान राज्य के तौर पर होती है. यहां पर अधिकांश आबादी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है. पर इस बीच खबर यह आ रही है कि ओडिशा में अब कृषि के प्रति किसानों का रुझान घट रहा है. कृषि को आजीविका के तौर पर अपनाने में अब वो हिचकिचा रहे हैं. दरअसल इस साल रबी सीजन के लिए नाम दर्ज कराने वाले किसानों की कुल संख्या पिछले साल से आधी से कम हो गई है. मिली जानकारी के अनुसार इस साल रबी सीजन में धान बिक्री के लिए इस साल 16 मार्ट तक मात्र 57,804 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जबकि पिछले साल 1,41,461 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था.  

ओडिशा पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक धान खरीद में देरी, धान खरीद में जिला प्रशासन की उपेक्षा, सिंचाई सुविधाओं में कमी और मौसम की मार के बीच फसलों में कीटों के प्रकोप और इससे संबंधित समस्याओं से किसानों पीछे होने पर मजबूर कर दिया है. इसके कारण खेती में उनकी रुचि घटती जा रही है. सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार ने भी किसानों की कम होती संख्या पर  चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कृषि अधिकारियों को कारणों का पता लगाने का निर्देश दिया है कि आखिर पंजीकृत किसानों की संख्या में इतनी कमी क्यों आई है. इसके साथ ही एक और चिंता यह भी आ रही है कि अगर किसान खेती से दूर जाते हैं तो राज्य में मिलेट की पैदावार पर भी असर पड़ेगा. 

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प्रशासन से नहीं मिली मदद

गौरतलब है कि हाल ही में जाजपुर जिले के कोरेई प्रखंड के किसानों ने आरोप लगाया था कि धान के पौधे अच्छे तैयार हुई पर उनके पौधों में दाने नहीं भरे क्योंकि एक अज्ञात कीट ने पौधों की जड़ों को काट लिया. इसके कारण उन्हें धान की खेती में काफी नुकसान हो गया. नाराज किसानों ने यह भी आरोप लगाया था कि उन्होंने इस बारे में प्रशासन से शिकायत की थी पर इसके बावजूद उन्हें जिला प्रशासन की तरफ से किसी प्रकार की मदद नहीं मिली. उन्होंने कहा कि कोई भी उनकी मदद के लिए नहीं आया.

इतने किसानों ने कराया रजिस्ट्रेशन

इस वर्ष बालासोर जिले में 14,341, बारगढ़ में 23,922, बोलांगीर में 2,638, बौध में 1,634, कटक में 1,205, जाजपुर में 1,370, झारसुगुड़ा में 521, कालाहांडी में 8,027, खुर्दा में 148, कोरापुट में 2,928, 140 किसानों ने अपना नाम दर्ज कराया है. मयूरभंज में 384, नबरंगपुर में 2, नुआपाड़ा में 979, पुरी में 7,575, संबलपुर में 4,705 और सुबरनापुर जिले में 11,137 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. चिंताजनक बात यह है कि ओडिशा के 'धान का कटोरा' कहे जाने वाले बरगढ़ और संबलपुर जिलों में किसान पंजीकरण में काफी गिरावट देखी गई है. यहां पर किसानों की संख्या में आधे से अधिक की गिरावट देखी गई है.  

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सिंचाई सुविधा का अभाव

जाजपुर ओडिशा का औद्योगिक रूप से समृद्ध जिला है. सिंचाई विभाग की मानें तो जिले में स्थित 1,45,450 हेक्टेयर कृषि भूमि में से 66,613 हेक्टेयर को पानी मिलता है. जबकि जिले के किसानों का कहना है कि विभाग ने जो आंकड़े दिए हैं वह गलत है. किसानों का कहना है कि जिले में कृषि योग्य भूमि में आधे से भी कम में सिंचाई के लिए पानी मिलता है. वहीं जाजपुर जिला प्रशासन के सूत्रों ने कहा कि सिंचाई विभाग ब्राह्मणी और खारास्रोता नदियों से पानी खींचकर रबी सीजन के दौरान केवल 10,000 हेक्टेयर के लिए पानी उपलब्ध कराता है. उन्होंने दावा किया कि बाकी खेतों को लिफ्ट सिंचाई, बोरवेल, डब्ल्यूएचएस और अन्य स्रोतों से पानी मिलता है. इसके अलावा पिछले साल खरीफ सीजन में धान की खरीद में देरी हुई थी. इसके कारण भी इस बार किसान खुद खेती से दूर हो गए. 

रबी धान खरीद के लिए बढ़ी रजिस्ट्रेशन तारीख

राज्य सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर रबी धान की खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन की तारीख को बढ़ाकर 27 मार्च कर दिया है. इससे पहले यह तारीख 20 मार्च तक थी. रबी धान की बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन की शुरुआत 1 मार्च 2024 को हुई थी. रबी धान की खरीद 1 मई से शुरू होकर 30 जून तक चलेगी. जिन किसानों ने केएमएस 2022-23 के रबी सीजन के लिए पंजीकरण कराया था, उन्हें अपना पंजीकरण रिन्यू करना होगा. नए पंजीकरण के लिए किसानों को भूमि अधिकार के रिकॉर्ड, बैंक पास बुक और आधार कार्ड की प्रतियां जमा करना आवश्यक है. राज्य सरकार ने रबी सीजन के दौरान 14 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य रखा है.

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मोटे अनाज की खेती पर आ सकता है संकट

वहीं ओडिशा में इस बार मोटे अनाज में रागी का उत्पादन बेहतर हुआ है. राज्य सरकार एमएसपी पर इसकी खरीद भी कर रही है. जिस तरह ओडिशा के किसान धान की खेती से दूर जा रहे हैं, उसे देखते हुए मोटे अनाज की खेती में परेशानी हो सकता है. हालांकि अभी सरकार ओडिशा मिलेट मिशन के तहत राज्य में इसकी खेती को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है. पर अभी भी सिर्फ आदिवासी बहुल इलाकों में ही इसकी खेती के रकबे में बढ़ोतरी देखी गई है, बाकि क्षेत्रों से किसान अधिक दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.