मुजफ्फरपुर की शाही लीची का स्वाद चखने के लिए इस बार खर्च करने होंगे अधिक पैसे, जानें क्या है वजह

मुजफ्फरपुर की शाही लीची का स्वाद चखने के लिए इस बार खर्च करने होंगे अधिक पैसे, जानें क्या है वजह

मुजफ्फरपुर में बेहतरीन क्वालिटी वाले शाही लीची का उत्पादन होता है. इसलिए इसे लीची की राजधानी भी कहा जाता है. दुर्भाग्य से इस साल उत्तर बिहार का मौसम लीची उत्पादन के अनुकूल नहीं रहा है. इसके कारण मुजफ्फरपुर के लीची बगानों में उत्पादन पिछले साल की तुलना में इस साल कम हो गया है.उत्पादन कम होने के कारण मुजफ्फरपुर की शाही लीची की कीमत बाजार में अधिक रहेगी.

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मुजफ्फरपुर की शाही लीची का स्वाद चखने के लिए इस बार खर्च करने होंगे अधिक पैसे, जानें क्या है वजहशाही लीची इस बार रहेगी महंगी (सांकेतिक तस्वीर)

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की शाही लीची अपने स्वाद और रंग के प्रसिद्ध है. अन्य लीची की तुलना में यह महंगी भी होती है. लोग इसे खाना खूब पसंद करते हैं. पर इस बार शाही लीची को पसंद करने वाले लोगों को लिए इसे खाने के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है. क्योंकि भीषण गर्मी के कारण इस बार लीची उत्पादन के अनुकूल मौसम नहीं मिल पाया है. इसका असर गुणवत्तापूर्ण उत्पादन पर पड़ा है. क्योंकि अच्छी गुणवत्ता वाली लीची के लिए उसके अनुकूल मौसम का होना जरूरी है. पर दुर्भाग्य से इस साल उत्तर बिहार का मौसम लीची उत्पादन के लिए अनुकूल नहीं है. 

गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर में बेहतरीन क्वालिटी वाले शाही लीची का उत्पादन होता है. इसलिए इसे लीची की राजधानी भी कहा जाता है. आमतौर पर बेहतर क्वालिटी के लीची के उत्पादन के लिए उसके अनुकूल मौसम का होना बहुत जरूरी है. क्योंकि मौसम में थोड़ी भी गड़बड़ी इसकी गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है. मुजफ्फरपुर में लगभग 12000 हेक्टेयर में लीची की खेती की जाती है. यह शहर लीची की दो प्रमुख किस्मों के लिए मशहूर है. शाही लीची और चाइना लीची. जो सुगंध और गुणवत्ता के लिए जाना जाता है. एएनआई के मुताबिक एक रिसर्च में पाया गया है कि मुजफ्फरपुर की जलवायु और मिट्टी लीची के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए उपयुक्त है. यहां लीची की खेती खूब फलती फूलती है.

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लीची पर पड़ी मौसम की मार

हालांकि दुर्भाग्य से इस साल उत्तर बिहार का मौसम लीची उत्पादन के अनुकूल नहीं रहा है. इसके कारण मुजफ्फरपुर के लीची बगानों में उत्पादन पिछले साल की तुलना में इस साल कम हो गया है. मिली जानकारी के अनुसार इस साल पिछले साल की तुलना में उत्पादन में 35 फीसदी तक की कमी आ सकती है. बुधन सैनी ने बताया कि प्रतिकुल मौसम के कारण इस साल लीची की कटाई देरी से होगी. लीची को कीट से बचाना भी एक चुनौतीपूर्ण काम होता है. हालांकि अभी मुजफ्फरपुर के कई बगानों से लीची की कटाई की जा रही है और इसे बाजार में भेजा जा रहा है जबकि अभी तक लीची ठीक से पकी भी नहीं है. 

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उत्पादन में आई कमी

पिछले रिकॉर्ड के मुताबिक हर साल लगभग एक लाख मीट्रिक टन लीची का उत्पादन होता है. जबकि इस साल लीची का उत्पादन 75-80 हजार मीट्रिक टन तक होने का अनुमान लगाया गया है. उन्होंने कहा कि गर्मी के कारण शाही किस्म की लीची सबसे अधिक प्रभावित हुई है. इसके अलावा इस साल कम बारिश के कारण लीची का उत्पादन कम होगा और उत्पादन कम होने के कारण मुजफ्फरपुर की शाही लीची की कीमत बाजार में अधिक रहेगी. बता दें कि 2013 में ही मुजफ्फरपुर की शाही लीची को जीआई टैग मिल चुका है. चीन के बाद भारत लीची का सबसे बड़ा उत्पादक है. बिहार के किसान अकेले की देश में उत्पादन होने वाले कुल लीची के आधे का उत्पादन करते हैं.

 

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