मौसम का आकलन करने वाले अधिकांश मॉडल का दावा, जून 2024 तक रहेगा अल-नीनो का प्रभाव

मौसम का आकलन करने वाले अधिकांश मॉडल का दावा, जून 2024 तक रहेगा अल-नीनो का प्रभाव

नेशनल ओशएनिक एंड एटमॉसफेयरिक एडमिनिसट्रेशन की तरफ से जारी किए गए लैटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक मौसम का आकलन करने वाले अधिंकाश मॉडल यह इशारा करते हैं कि अपैल 2024 से लेकर जून 2024 तक अल नीनो का प्रभाव रहेगा.

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मौसम का आकलन करने वाले अधिकांश मॉडल का दावा, जून 2024 तक रहेगा अल-नीनो का प्रभावResidents carry sacks of vegetables through a stream flooded by the rains caused by the direct influence of Cyclone Yaku. (Photo: Reuters)

भारत में इस बार मॉनसून के दौरान कई राज्यों में सूखे की स्थिति देखने के लिए मिली जबकि कई राज्यों में सामान्य से कम बारिश हुई और कई राज्यों में बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति सामने आई. माना जा रहा है कि इस बार अलनीनो के प्रभाव के कारण मौसम में यह बदलाव हुआ है. एशिया में अलनीनो के प्रभाव के अकाल होता है और लंबे समय तक बारिश नहीं होती है. यूएस स्थित मौसम आकलन केंद्र का मानना है कि इस बार नवंबर 2023 से जनवरी 2024 तक अलनीनो का प्रभाव चरम पर होगा. इसके कारण समुद्र का तापमान गर्म रहेगा जो अप्रैल जून 2024 तक चल सकता है. 

नेशनल ओशएनिक एंड एटमॉसफेयरिक एडमिनिसट्रेशन की तरफ से जारी किए गए लैटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक मौसम का आकलन करने वाले अधिंकाश मॉडल यह इशारा करते हैं कि अपैल 2024 से लेकर जून 2024 तक अल नीनो का प्रभाव रहेगा. रिपोर्ट में यह कयास लगाए गए हैं कि इसकी 62 फीसदी संभावना है कि अल नीनो का प्रभाव जून 2024 तक हो सकता है. ऑस्ट्रेलिया ब्यूरो ऑफ मेटेरियोलॉजी के मुताबिक अल नीनो ने अपने सभी चार मापदंडो को पूरा किया है. 

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सामान्य से 0.8 डिग्री सेल्सियस अधिक है तामपान

उन चार मांपदडों के पहले नियम के अनुसार अल नीनो प्रभावित क्षेत्र वाले प्रशांत महासागर का सतही तापामन सामान्य से 0.8 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म रहता है. यह देखा गया कि पिछले चार महीनों में से तीन महीनों के दौरान पश्चिमी या मध्य भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में ट्रेड हवाएं औसत से कमज़ोर रहीं. वर्ष के अंत तक प्रशांत के नीनों के कारण अधिकांश सर्वेक्षण किए गए जलवायु मॉडल कम से कम 0.8 डिग्री औसत तक निरंतर तापमान वृद्धि दिखा रहे हैं. यह अनुमान भारत के लिए चिंताजन  है क्योंकि भारत में इस समय अधिकांश क्षेत्र में रबी फसलों की खेती होती है. जो खरीफ के बाद देश में सबसे अधिक खाद्यान्न पैदा करता है. 

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अल नीनों का असर

ऐसे भी इस साल खरीफ सीजन में बारिश की अनियमितता के कारण देश में खाद्यान्न उत्पादन प्रभावित हुआ है. अलनीनो का प्रभाव जून 2024 तक रहेगा इसका असर जून से पहले होने वाले प्री मॉनसून पर पड़ सकता है. ऑस्ट्रेलियाई मौसम एजेंसी ने कहा कि जलवायु मॉडल के आकलन से पता चलता है कि दक्षिणी गोलार्ध में शरद ऋतु 2024 तक अल नीनो का प्रभाव जारी रह सकता है.  जब तक यह घटना समाप्त नहीं हो जाती या संभावित ला नीना के संकेत दिखाई नहीं देते, तब तक अल नीनो पर ही रहेगा.  अलनीनों के प्रभाव से देश का 26 फीसदी हिस्सा इस साल सूखे की चपेट में रहा. जबकि सितंबर और अक्टूबर महीने का तापमान सामान्य से गर्म रहा. 

 

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