मेघालय की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है. यहां की मुख्य फसलें चावल और मक्का हैं. वहीं नकदी फसलों में आलू, हल्दीं, अदरक, काली मिर्च, सुपारी, छोटे रेशे वाली कपास, पटसन और मेस्टा, सरसों और तोरिया आदि हैं. हालांकि, मेघालय के पश्चिमी जैंतिया हिल्स जिले की टेढ़ी-मेढ़ी सड़कों से जब आप गांवों में प्रवेश करते हैं तो हल्दी का खेत आपका ध्यान अपनी ओर खींचेगा. यह न सिर्फ भारतीय बल्कि विदेशी व्यापारियों का भी ध्यान खींच रहा है. धुंध और बादलों से परे, जिससे अक्सर इन दूरदराज के गांवों को जाना जाता है, अब हल्दी को लेकर काफी चर्चा में हैं.
यहां के लोग पीढ़ियों से लाकाडोंग हल्दी, जिसे दुनिया में हल्दी की सबसे अच्छी किस्म माना जाता है. उस हल्दी की खेती कर रहे हैं. अब, मेघालय की लाकाडोंग हल्दी को एक और कारण इसे पॉपुलर बना रहा है वह है- करक्यूमिन. यह हल्दी में पाया जानेवाला एक सक्रिय घटक है जिसका उपयोग फार्मास्युटिकल कामों यानी औषधीय दवाओं के इस्तेमाल के लिए किया जाता है. वहीं लाकाडोंग हल्दी में पाए जाने वाला करक्यूमिन इसे एक प्रीमियम कीमत दिलावाता है. वहीं इसकी मांग देश के अलावा विदेशों में भी है.
दरअसल, मेघालय सरकार द्वारा मिशन लाकाडोंग की स्थापना के पांच साल बाद, स्थानीय हल्दी ने जिले को आर्थिक गतिविधि, व्यापार, खेती में बदलाव और इसे निर्यात के लिए तैयार करने में मदद की है. अब मेघालय की हल्दी यूनाइटेड किंगडम और नीदरलैंड जैसे देशों में जा रही है. लेकिन राज्य को सबसे अधिक कंपटीशन तेलंगाना और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से है.
हल्दी की उत्पादन की अगर बात करें तो कई दूसरे राज्य मेघालय को पीछे छोड़ देते हैं, लेकिन जब गुणवत्ता की बात आती है तो आंकड़ा बिल्कुल उलट जाता है. पश्चिमी जैंतिया हिल जिले में हल्दी की तीन किस्में उगाई जाती हैं- लाचेन, लासेइन और लाकाडोंग. जबकि पहली दो किस्मों में केवल चार से पांच प्रतिशत करक्यूमिन होता है लेकिन लाकाडोंग में औसतन सात प्रतिशत तक करक्यूमिन पाया जाता है. इसकी खेती इस छोटे से जिले के मूल निवासी करते हैं, जिसकी सीमा दक्षिण में बांग्लादेश और उत्तर में असम से लगती है. इस हल्दी को कहीं और उगाने पर इसके करक्यूमिन स्तर में भारी गिरावट हो जाती है.
मेघालय सरकार ने प्रकृति से मिले इनाम का फायदा उठाते हुए 2018 में ‘मिशन लाकाडोंग’ शुरू किया था. वहीं मौजूदा वक्त में राज्य सरकार हल्दी की खेती और उत्पादकता के क्षेत्र का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जो लोग लंबे समय से लाकाडोंग की व्यावसायिक खेती में लगे हुए हैं, वे ऑनलाइन मार्केटिंग की ओर बढ़ रहे हैं. यह सुनिश्चित करने के लिए कि हल्दी उत्पादकों के पास अपनी उपज बेचने के लिए एक मजबूत चैनल हो, सरकार ने जिले में 17 सामूहिक मार्केटिंग केंद्र (सीएमसी) बनाया है. वहीं ग्रामीण सीएमसी में किसान बुनियादी मशीनरी का उपयोग करके कटी हुई फसल को धो सकते हैं, सुखा सकते हैं और काट सकते हैं. (साभार: दि प्रिंट)
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