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लालकृष्ण आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न सम्मान, PM मोदी ने खुद दी इसकी जानकारी

लालकृष्ण आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न सम्मान, PM मोदी ने खुद दी इसकी जानकारी

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा.

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लालकृष्ण आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न. (फाइल फोटो) लालकृष्ण आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न. (फाइल फोटो)

पूर्व उपप्रधानमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इसकी जानकारी दी है. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. मैंने भी उनसे बात की और इस सम्मान से सम्मानित होने पर उन्हें बधाई दी. पीएम मोदी ने कहा कि हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक, भारत के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है.

पीएम ने कहा कि उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर हमारे उपप्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का है. उन्होंने हमारे गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी अपनी पहचान बनाई. उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं.

कब बने उपप्रधानमंत्री

लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के सबसे अधिक समय तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहने वाले एकमात्र नेता रहे हैं. 1980 में भाजपा के गठन के बाद पहली बार वे 1986 से 1990 तक अध्यक्ष रहे. इसके बाद 1993 से 1998 और फिर 2004 से 2005 तक वे बीजेपी के अध्यक्ष रहे. वे 4 दशक से भी अधिक समय तक भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे. इस दौरान वे कई बार मंत्री भी बने. बाद में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनट में (1999-2004) लालकृष्ण आडवाणी उपप्रधानमंत्री बने.

पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में हुआ जन्म

लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में हुआ था. उन्होंने  कराची के सेंट पैट्रिक्स स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की. इस दौरान वे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़ गए औऱ देश सेवा में लग गए. वहीं, 1947 में देश की आजादी के बाद उन्हें अपना घर छोड़कर भारत आना पड़ा. हालांकि उन्होंने इस घटना को खुद पर हावी नहीं होने दिया. भारत आने पर वे राजस्थान में आरएसएस प्रचारक के रूप में काम करने लगे.  फिर, 1957 में आडवाणी राजस्थान छोड़कर दिल्ली आ गए. ताकि,  वे अटल और नवनिर्वाचित सासंदों की मदद कर सकें. दिल्ली में दफ्तर में करीब 3 साल तक काम करने के बाद आडवाणी ने अपने जीवन का एक नया अध्याय बतौर पत्रकार शुरू किया. 1960 में उन्होंने ऑर्गनाइजर में सहायक संपादक पदभार संभाला था.

राजनाथ सिंह ने दी बधाई

वहीं, लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने एक्स पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि हम सबके प्रेरणास्रोत एवं देश के वरिष्ठ नेता, श्रद्धेय लाल कृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न दिये जाने के निर्णय से बड़े हर्ष और आनंद की अनुभूति हुई है. वे राजनीति में शुचिता, समर्पण और दृढ़ संकल्प के प्रतीक हैं. आडवाणीजी ने अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में अनेक भूमिकाओं में, देश के विकास और राष्ट्रनिर्माण में जो महत्वपूर्ण योगदान किया है, वह अविस्मरणीय और प्रेरणास्पद है.

पीएम मोदी को धन्यवाद

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने में भी उनकी महती भूमिका रही है. एक राष्ट्रीय नेता के रूप में उन्होंने अपनी विद्वता, संसदीय एवं प्रशासनिक क्षमता से देश और लोकतंत्र को मज़बूत किया है. उन्हें भारत रत्न का सम्मान मिलना हर भारतवासी के लिए हर्ष का विषय है. मैं इस निर्णय के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हूं एवं आडवाणीजी का अभिनंदन करता हूं.