खनौरी और शंभू बॉर्डर पर पंजाब पुलिस की कार्रवाई और किसान नेताओं की गिरफ्तारी के बाद करीब 1 साल से चल रहा आंदोलन 19 मार्च को समाप्त हो गया. कार्रवाई के बाद किसान संगठन राज्य सरकार के खिलाफ उग्र हो गए हैं. उन्होंने आज यानी सोमवार को आम आदमी पार्टी के विधायकों और मंत्रियों के घरों का घेराव करके विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है. पंजाब पुलिस द्वारा 19 मार्च को हिरासत में लिए गए अधिकांश किसान नेताओं को रिहा कर दिया गया है, लेकिन किसान संगठन राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं. किसानों का आरोप है कि राज्य सरकार ने उन्हें धोखा दिया और 19 मार्च को पुलिस ने उन्हें शंभू और खनोरी बॉर्डर से जबरन हटा दिया. किसानों का आरोप है कि उनके तंबू उखाड़ दिए गए और सामान तोड़ दिए गए या चोरी कर लिए गए.
सूत्रों कि मानें तो किसान संगठनों की योजना राज्य के 17 जिलों में विरोध प्रदर्शन करने की है, जो बाद में अन्य जिलों में फैल जाएगा. इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 29 मार्च को कहा था कि वह किसान आंदोलन का समर्थन करते हैं और केंद्र के साथ 4 मई को होने वाली वार्ता में वह खुद किसानों की अगुवाई करेंगे. एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में बोलते हुए पंजाब के सीएम ने कहा कि विरोध करना किसानों का लोकतांत्रिक अधिकार है.
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पंजाब के सीएम ने कहा, 'मैं शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों के विरोध प्रदर्शन का पूरी तरह से समर्थन करता हूं. अपने अधिकारों के लिए लड़ना हर किसी का लोकतांत्रिक अधिकार है. मैं व्यक्तिगत रूप से 4 मई को केंद्र के साथ बैठक में किसानों को ले जाऊंगा... हम उनके साथ प्यार से पेश आए हैं. अब तक उन पर कोई लाठी या पानी की बौछार का इस्तेमाल नहीं किया गया है.' उन्होंने आगे कहा कि किसानों का विरोध प्रदर्शन केंद्र सरकार के खिलाफ है. लेकिन बॉर्डर पर आवागमन बाधित होने से राज्य को आर्थिक नुकसान हो रहा था, इसको देखते हुए शंभू और खनौरी बॉर्डर खाली कराया गया.
बता दें कि 28 मार्च को भी कई किसान संगठनों ने पंजाब में सरकार और पुलिस प्रशासन के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया और विरोध प्रदर्शन किया. वहीं, 19 मार्च को पंजाब पुलिस की ओर से किसान नेताओं को हिरासत में में लिए जाने को लेकर एसकेएम ने इसके विरोध में शुक्रवार को देश में 'दमन विरोधी दिवस' मनाया और धरना प्रदर्शन किया था.\
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