आज देशभर में करवा चौथ का पर्व मनाया जा रहा है. इस पर्व में पत्नी अपने पति के लिए व्रत रखती है. दरअसल, भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को और शिव ने पार्वती को इस व्रत के बारे में बताया था. करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन मूलतः भगवान गणेश, मां गौरी और चंद्रमा की पूजा की जाती है. चंद्रमा को सामन्यत आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है. इसलिए चंद्रमा की विधिवत पूजा कर सुहागनें वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं.
पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर को सुबह 06.46 बजे से शुरू होगी और 21 अक्टूबर को सुबह 04.16 बजे तक रहेगी. ऐसे में करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर दिन रविवार को मनाया जा रहा है. करवा चौथ पर पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 46 मिनट से शाम 7 बजकर 02 मिनट तक रहेगा.
करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय शाम 07 बजकर 53 मिनट बताया जा रहा है. वहीं, दिल्ली में चंद्रोदय रात 8 बजकर 15 मिनट पर हो सकता है, जिसके बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोल सकती हैं.
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पूजा के लिए एक साफ-सुथरी जगह पर चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं. इस पर गौरी मां की प्रतिमा स्थापित करें. करवा, दीपक और पूजन सामग्री भी यहां रखें. पूजा में एक कलश को जल से भरकर रखें. इस पर दीपक जलाएं. करवा पर रोली, अक्षत, सिंदूर और फूल अर्पित करें. विधिवत पूजा के बाद करवा चौथ की कथा सुनना या पढ़ना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है.
कथा सुनते समय हाथ में जल और अक्षत लेकर बैठें. वहीं, रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत का समापन करें. चंद्रमा को जल अर्पित करें और उसे अर्घ्य दें. पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करें. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति को जल से अर्घ्य दें. पति के हाथ से पानी पीकर व्रत तोड़ें.
करवा चौथ का व्रत केवल सुहागनें या जिनका रिश्ता तय हो गया है, उन्हें ही रखना चाहिए. यह व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाता है. यह व्रत निर्जला या विशेष परिस्थितियों में जल के साथ रखा जा सकता है. व्रत रखने वाली महिलाओं को काला या सफेद वस्त्र पहनने से बचना चाहिए. महिलाएं लाल या पीला वस्त्र पहन सकती हैं. इस दिन पूर्ण श्रृंगार और पूर्ण भोजन जरूर करना चाहिए.
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