ओडिशा में सरकारी दर पर धान की खरीद चल रही है. पर इसके बावजूज किसानों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. धान खरीद में अनियमितता और राइस मिलर्स की मनमानी की खबरे लागातार सामने आ रही हैं. इसे लेकर किसानों ने एक दो जगहों पर विरोध भी किया है. पर किसानों के इस विरोध को अब भारतीय जनता पार्टी का भी साथ मिल गया है. क्योंकि धान खरीद में लगातार आ रही अनियमितता के शिकायत के विरोध में बीजेपी की ओडिशा यूनिट ने कालाहांडी बंद का आह्लवान किया था. गुरुवार को बुलाए गए इस बंद का जिले भर में व्यापक असर देखा गया. सभी निजी और सरकारी संस्थान बंद रहे. शहर के प्रमुख इलाकों में भी बंद का असर देखा गया.
धान खरीद में अनियमितता के खिलाफ बुलाए गए इस बंद के विरोध में बीजेपी के कालाहांडी जिला अध्यक्ष अर्तट्राना महापात्र ने अनुगवाइ में बीजेपी कार्यकर्ता शहर में निकले और विभिन्न बाजारों में जाकर उसे बंद कराया. इसके कारण जिला मुख्यालय, भवानीपटना में स्कूल, स्कूल कॉलेज, सरकारी और प्राइवेट ऑफिस के अलावा बैंक और डाकघर भी बंद रहे. इतना ही नहीं विरोध कर रहे बीजेपी नेता और कृषक मोर्चा के नेताओं ने शहर के कॉलेज स्क्वायर, नकटीगुड़ा, घोड़ाघाट, दयानिधि, मनिंग और मेदिनीपुर के प्रमुख जंक्शनों पर धरना दिया. हालांकि बंद के दौरान किसी तरह की अप्रिय घटना सामने नहीं आई है.
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विरोध कर रहे बीजेपी कार्यकर्याओं और नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकारी अधिकारी राइस मिलर्स के साथ मिलकर किसानों का शोषण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राइस मिलर्स किसानों से मंडियों में धान खरीद के नाम पर खरीद केंद्रों में “कटनी छटनी” जैसी प्रथा का सहारा लेते हैं. इसके जरिए किसानों धान खरीदते वक्त वजन में 7 से 10 किलोग्राम प्रति क्विंटल की दर से धान में कटौती की जाती है. इसके कारण किसानों को नुकसान हो रहा है. साथ ही एफएक्यू के नाम पर राइस मिलर्स किसानों से 80-90 फीसदी ही धान की खरीद करते हैं,बाकी किसानों का धान बर्बाद हो जाता है.
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वहीं किसानों ने यह भी आरोप लगाया की उनकी धान बिल्कुल सूखी हुई रहती है और साफ रहती है पर इसके बाद भी मिलर्स मनमानी करते हैं. धान खरीद में भी देरी हो रही है.किसान अपने धान को लेकर मंडियों में जाकर खुले में रखकर आ रहे हैं. पर धान खरीद में हो रही देरी के कारण उन्हें नुकसान हो रहा है. किसानों ने यह भी बताया की उन्होंने 15 नवंबर तक धान की कटाई कर ली थी, पर इसके बाद भी दिसंबर तक मंडिया नहीं खुल पाई थी.जिससे किसानों को बिक्री के लिए अपनी उपज का भंडारण करने में कठिन समय का सामना करना पड़ा. इसके अलावा किसानों को धान खरीद के लिए मार्च तक का टोकन जारी किया गया है. इस हालत में किसानों को अपने धान कम कीमत पर बिचौलियों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
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