भारत दुनिया में जीरा का प्रमुख उत्पादक और उपभोक्ता है. जबकि, गुजरात और राजस्थान का घरेलू उत्पादन में 80 प्रतिशत से अधिक का योगदान है. वहीं देश में इस साल जीरे का रकबा दो गुना होने की संभावना है. इसके अलावा, जब तक नई बुवाई का कुल विवरण उपलब्ध होगा, तब तक इसकी कीमतें भी 60,000 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर होने की संभावना है. हालांकि, पिछले कुछ हफ्तों से कीमतें स्थिर हैं. वहीं जीरे की कीमतों में कोई बड़ी बढ़ोतरी न होने का एक कारण यह है कि इसको पुनः निर्यात करने के लिए आयात किया जा रहा है.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, ऊंझा चैंबर ऑफ कॉमर्स (यूसीसी) के पूर्व अध्यक्ष अरविंद पटेल ने कहा, “इस साल जीरे की बुआई दोगुनी हो जाएगी. वहीं हमें यह देखना होगा कि अगले साल की शुरुआत में नई फसल आने तक कीमतों को लेकर बाजार का संतुलन कैसा रहेगा."
मसाला व्यापार के विश्लेषक जगदीप गरेवाल ने कहा, “इस समय, जीरा एक खुला और बंद मामला है. वहीं नई फसल की आवक होली त्योहार से पहले नहीं होगी, लेकिन इस साल बुआई का रकबा कम से कम दोगुनी होगा.” जबकि, फेडरेशन ऑफ इंडियन स्पाइस स्टेकहोल्डर्स (एफआईएसएस) के संस्थापक-अध्यक्ष अश्विन नायक ने कहा, “जीरा की कीमतें ऊंची हैं, लेकिन कोई व्यापार नहीं हो रहा है. ये और कितना बढ़ेंगे ये कोई नहीं जानता. कीमतों में मजबूती कम से कम नवंबर तक जारी रहेगी, जब नई बुआई रिपोर्ट आएगी.''
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गौरतलब है कि एनसीडीईएक्स पर पिछले कुछ हफ्तों से जीरा वायदा कीमत 65,000 के आसपास है. वहीं सोमवार को 245 रुपये की गिरावट के साथ 63,200 प्रति क्विंटल पर बंद हुआ.
कृषि मंत्रालय की एक इकाई, एगमार्कनेट के डेटा के अनुसार सोमवार को उंझा कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) यार्ड में मसाले की मॉडल कीमत (वह दर जिस पर अधिकांश व्यापार होता है) 57,500 रुपये थी. वहीं, इस महीने की शुरुआत से जीरा की कीमतें 57,000 से 58,500 रुपये के बीच रही हैं.
विश्लेषक जगदीप गरेवाल ने कहा, “मांग के मोर्चे पर, हमें यह देखना होगा कि दिवाली के दौरान थोक खरीदारी कैसे बढ़ती है. ऐसी संभावना है कि कीमतें 700 रुपये या 750 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती हैं, लेकिन एक बार जब वे गिरना शुरू हो जाएंगी, तो गिरावट तेज हो सकती है.'' वहीं उन्होंने इसबगोल से जीरा के लिए कंपटीशन से इनकार कर दिया, क्योंकि सामान्य से अधिक बारिश के कारण फसल प्रभावित हुई थी. गरेवाल ने कहा, "हम उसी तरह के परिदृश्य देखेंगे जो हमने 2008 में काली मिर्च और 2010 में ग्वार में देखा था. कीमतें बढ़ सकती हैं लेकिन गिरावट भी भारी होगी."
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वहीं, पूर्व यूसीसी प्रमुख ने कहा, "बुवाई रिपोर्ट के आधार पर दिशा जानने से पहले हम दिवाली तक कीमतों में 2,000-3,000 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी देख सकते हैं."
इस साल की शुरुआत से जीरा की कीमतें लगभग दोगुनी हो गई हैं, क्योंकि मार्च में बेमौसम बारिश और अप्रैल में गर्मी ने खासकर गुजरात और राजस्थान में खड़ी फसल को प्रभावित किया है. जनवरी में अंतर्राष्ट्रीय मसाला सम्मेलन में, जीरा उत्पादन, जो पिछले सीज़न में 20 प्रतिशत गिरकर 3.88 लाख टन हो गया था, चालू सीज़न में 4.14 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया था. नतीजतन, वैश्विक उत्पादन 4.08 लाख टन के मुकाबले 4.35 लाख टन अधिक आंका गया. हालांकि, आईटीसी लिमिटेड द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत से नेट सप्लाई 7 प्रतिशत कम होने का अनुमान है और कीमतों में तेजी रहने की उम्मीद है.
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