मध्य प्रदेश के इंदौर जिला प्रशासन ने कथित तौर पर पराली जलाने के लिए कई किसानों पर 13.68 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. बुधवार को एक अधिकारी ने PTI को यह जानकारी दी. अधिकारी ने बताया कि पिछले चार दिनों में जिले में पराली जलाने के 668 मामले दर्ज किए गए हैं. हालांकि, किसान संगठनों ने कोई दूसरी व्यवस्था की मांग करते हुए इस कार्रवाई पर आपत्ति जताई है.
अधिकारी के अनुसार, प्रशासन ने पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा भी जारी की है. उन्होंने कहा, "पराली जलाने से पर्यावरण, आम लोगों और जानवरों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए यह आदेश जारी किया गया है."
अधिकारी ने बताया कि निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने वालों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 (लोक सेवक द्वारा दिए गए आदेशों की अवहेलना) के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. इस प्रावधान के तहत दोषी को एक साल तक की जेल या 5,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.
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किसान संगठनों ने पराली जलाने पर किसानों पर लगाए गए भारी जुर्माने पर आपत्ति जताई है. पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ क्षेत्र में संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक राम स्वरूप मंत्री ने कहा, "हमारा मानना है कि खेतों में पराली जलाना गलत है, लेकिन ऐसे मामलों में किसानों पर अचानक भारी जुर्माना लगाना भी अनुचित है." उन्होंने मांग की कि कृषि विभाग के अधिकारी गांवों का दौरा करें और खेत में बचे पौधों के डंठलों को नष्ट करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करें.
इंदौर ही नहीं, देश के कई इलाकों में पराली बड़ी समस्या है. धान के समय में इसका धुआं और भी गंभीर स्थिति पैदा करता है. अभी गेहूं का सीजन चल रहा है जिसकी कटाई के बाद किसान इसकी पराली में आग लगा देते हैं. आंकड़े बताते हैं कि पराली की आग की घटनाओं में मध्य प्रदेश भी कई राज्यों से आगे निकल चुका है.
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धान की पराली के मामले में जहां हरियाणा और पंजाब बदनाम हैं तो अभी मध्य प्रदेश में पराली की आग की घटनाएं सुर्खियां बन रही हैं. यही वजह है कि प्रशासन सतर्क है और किसानों पर भारी भरकम जुर्माना लगाया जा रहा है ताकि वे आग लगाने की घटनाओं से बाज आएं.
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