Climate Change: क्लाइमेट चेंज से बेअसर है भारत की खेती, ICAR ने बताई इसकी बड़ी वजह

Climate Change: क्लाइमेट चेंज से बेअसर है भारत की खेती, ICAR ने बताई इसकी बड़ी वजह

क्लाइमेंट चेंज यानी कि जलवायु परिवर्तन ने कई सेक्टरों को प्रभावित किया है जिनमें कृषि सेक्टर भी एक है. ICAR ने कहा है, हालांकि भारत उन देशों में शामिल नहीं है जहां कृषि सेक्टर को जलवायु परिवर्तन से नुकसा हुआ है या हो रहा है. आईसीएआर के डीजी हिमांशु पाठक बताते हैं, पिछले तीन साल में अलग-अलग फसलों की 700 से अधिक वैरायटी तैयार की गई हैं

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Climate Change: क्लाइमेट चेंज से बेअसर है भारत की खेती, ICAR ने बताई इसकी बड़ी वजहWheat Farming

भारत की खेती-बाड़ी पर क्लाइमेट चेंज का असर नहीं पड़ने वाला है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि भारत में फसलों की ऐसी कई वैरायटी तैयार की गई हैं जो जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से बेअसर साबित हो रही हैं. इससे देश के किसानों को फायदा मिल रहा है. क्लाइमेट चेंज से जुड़ी यह जानकारी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (ICAR) के डीजी डिमांशु पाठक ने दी है. एक रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले तीन साल में अलग-अलग फसलों की 700 क्लाइमेट स्मार्ट वैरायटी तैयार की गई हैं.

क्लाइमेंट चेंज यानी कि जलवायु परिवर्तन ने कई सेक्टरों को प्रभावित किया है जिनमें कृषि सेक्टर भी एक है. ICAR ने कहा है, हालांकि भारत उन देशों में शामिल नहीं है जहां कृषि सेक्टर को जलवायु परिवर्तन से नुकसा हुआ है या हो रहा है. आईसीएआर के डीजी हिमांशु पाठक बताते हैं, पिछले तीन साल में अलग-अलग फसलों की 700 से अधिक वैरायटी तैयार की गई हैं जो क्लामेट चेंज से प्रभावित नहीं हैं.   

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गेहूं का उत्पादन बेहतर हो रहा है

इसका सबसे अच्छा और प्रमुख उदाहरण गेहूं है जिसा साल दर साल उत्पादन बढ़िया चल रहा है. यह तरक्की इसलिए है क्योंकि देश में क्लाइमेट स्मार्ट वैरायटीज (क्लाइमेट चेंज से बेअसर किस्में) तैयार की गई हैं जो हर परिस्थिति में अच्छी उपज दे रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, गेहूं की खेती के 70 फीसदी इलाके में हीट टोलरेंट और क्लाइमेट स्मार्ट वैराइटीज लगाई गई हैं. इसका फायदा किसानों को मिल रहा है.

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क्लाईमेट चेंज के बावजूद प्रभावित नहीं हुई है प्रोडक्टीविटी

हिमांशु पाठक कहते हैं, पिछले दो साल में अगर क्लाइमेट चेंज के बावजूद पैदावार और उत्पादकता प्रभावित नहीं हुई है तो इसकी वजह है क्लाइमेट स्मार्ट वैराइटीज. इस साल भी गेहूं की बंपर पैदावार की उम्मीद की जा रही है. बात केवल गेहूं की नहीं है बल्कि मिलेट के क्षेत्र में भी बड़े सुधार हुए हैं. ICAR-IIMR की डायरेक्टर तारा सत्यवती बताती हैं कि क्लाइमेट स्मार्ट 700 वैराइटीज में 40-45 मिलेट की किस्में हैं जिनसे पैदावार बढ़ाने में मदद मिली है.

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पारंपरिक खेती को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की जरूरत

उपजों में यह वृद्धि तब है  जब पूरी दुनिया में मौसम और जलवायु को लेकर कई तरह के बदलाव देखे जा रहे हैं. इसमें दो प्रमुख बदलाव पानी की कमी और मजदूरों की कमी भी है. भारत ने इससे पार पाया है. हालांकि आगे ऐसी कोई दिक्कत न आए, उसके लिए आईसीएआर का मानना है कि देश में नई और स्मार्ट टेक्नोलॉजी की बहुत जरूरत है. हिमांशु पाठक कहते हैं कि इसके लिए बहुत जरूरी है कि पारंपरिक खेती को मॉडर्न साइंस और मॉडर्न टेक्नोलॉजी से जोड़ा जाए.

 

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