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कोयंबटूर में नारियल के बाद केला किसानों को पड़ी मौसम की मार, आंधी से बर्बाद हुई उपज

कोयंबटूर में नारियल के बाद केला किसानों को पड़ी मौसम की मार, आंधी से बर्बाद हुई उपज

कोयंबटूर में केले की खेती करने वाले किसानों को मौसम की मार पड़ी है. तेज हवा के कारण कई जगहों पर किसानों के तैयार पेड़ गिर गए हैं. इससे किसानों को नुकसान हुआ है. किसान यहां पर लंबे समय से सूखा का सामना कर रहे हैं. इसके कारण उनके नारियल के पेड़ सूखने लगे हैं. ऐसे में फिर तेज आंधी ने केले की खेती को भी बहुत नुकसान पहुंचाया है.

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केले की खेती केले की खेती

कोयंबटूर में केले की खेती करने वाले किसानों पर मौसम की मार पड़ी है. तेज आंधी के कारण मेट्टुपालयम में कई एकड़ जमीन पर लगे केले के पेड़ बर्बाद हो गए हैं. कोयंबटूर में मेट्टुपालयम के पास सिरुमुगई, लिंगापुरम और करमादाई जैसी जगहों पर सैकड़ों एकड़ भूमि पर केले की खेती की जाती है. कई हफ्ते बाद यहां पर बारिश हुई है. यहां के किसान पिछले कई हफ्तों से भयंकर गर्मी और सूखे का सामना कर रहे थे. इसके बाद तेज हवाएं चलीं और कुछ स्थानों पर बारिश भी हुई. तेज हवाओं के कारण केले की खेती को बहुत नुकसान हुआ है. इस हवा के कारण फलों वाले पेड़ टूट गए हैं. 

अचानक आई आंधी ने केले को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है. किसानों का कहा है कि लंबे समय से सूखे के संकट का सामना कर रहे किसानों को केले के पौधों को जिंदा रखने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. काफी मुश्किल से सिंचाई करके किसानों ने अपने पेड़ों को बचाया था और फल उगाए थे. पर जब फल कटाई के लायक तैयार हुए तो मौसम ने किसानों को बड़ झटका दे दिया है. अब नुकसान से चिंतित किसानों ने सरकार से नुकसान के लिए मुआवजे की मांग की है. यहां पर लंबे समय से सूखे का दौर झेलने के कारण किसानों के पास सिंचाई के कुछ साधन नहीं बचे थे. ऐसे में किसी तरह किसानों ने फलों को उगाया तो मौसम ने उन्हें बर्बाद कर दिया.

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गंभीर सूखे के दौर से गुजर रहे किसान

बता दें कि यहां पर नारियल किसान पहले से ही परेशानियों के दौर से गुजर रहे हैं क्योंकि लंबे समय से सूखा रहने के कारण नारियल के खेती पर इसका असर पड़ा है. पानी और सिंचाई के अभाव में नारियल के पेड़ सूख रहे हैं. किसानों का कहना है कि उनके पास सिंचाई का कोई साधन नहीं है. सिंचाई के सभी स्रोत सूख चुके हैं. किसान अपने नारियल के पेड़ों को बचाने के लिए टैंकर से पानी खरीदकर मंगा रहे हैं और नारियल के पेड़ों की सिंचाई कर रहे हैं. टैंकर से पानी मंगवा कर सिंचाई करना किसानों के लिए महंगा साबित हो रहा है. पर अपने पेड़ों को बचाने के लिए किसानों के पास कोई विकल्प नहीं बचा है. हालांकि कल हुई बारिश से नारियल किसानों को थोड़ी राहत जरूर महसूस हुई होगी. 

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गर्मी के कारण घटा नारियल का उत्पादन

किसानों का कहना है कि सूखे और गर्मी के कारण उत्पादन घटकर 25 फीसदी तक हो गया है जबकि नारियल की कीमतों में 34-39 फीसदी तक बढ़ गई है. कोयंबटूर के इस इलाकों में नारियल के लगभग एक करोड़ से अधिक पेड़ हैं. नारियल पेड़ों को बचाने के लिए किसान टैंकर से पानी मंगा रहे हैं. एक टैंकर में 6000 लीटर पानी रहता है जिसके लिए उन्हें 1000 रुपये देने होते हैं. जबकि पानी से भरे एक टैंकर से सिर्फ 30 पेड़ों की ही सिंचाई हो पाती है. एक पेड़ को जिंदा रखने के लिए किसान को उसमें महीने में 10 बार पानी डालना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि अगर और 15 दिनों तक यह स्थिति रहती है तो फिर नारियल किसानों के लिए यहां पर आजीविका का संकट खड़ा हो जाएगा.