शंभू में चल रहे किसानों के रेल रोको आंदोलन के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. खास कर यात्रियों को इससे बहुत परेशानी हो रही है. 17 अप्रैल को शुरू हुए किसानों के इस आंदोलन को 18 दिन हो चुके हैं पर किसान किसी भी हाल में पीछे हटने को तैयार नहीं है. किसानों के विरोध के कारण फिरोजपुर डिवीजन अब तक 46 ट्रेनोंको रद्द किया जा चुका है. जबकि 101 ट्रेनों को डायवर्ट कर दिया गया है. यह वो ट्रेने हैं जो लुधियाना जंक्शन से होकर गुजरती है. आंदोलनकारी किसान व्यस्त अटारी-अंबाला लाइन पर शंभू रेलवे स्टेशन पर पिछले एक पखवाड़े से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं इसके कारण अब राज्य में रेल नेटवर्क धीमा हो गया है.
किसानों के रेल रोको आंदोलन के कारण कटरा से नई दिल्ली जाने वाली जम्मू मेल, उधमपुर से नई दिल्ली जाने वाली एमसीटीएम उधमपुर एसी एसएफ एक्सप्रेस, अमृतसर से नई दिल्ली जाने वाली शान-ए-पंजाब, अमृतसर से हावड़ा जाने वाली हरिद्वार जनशताब्दी और अमृतसर से चंडीगढ़ जाने वाली अमृतसर इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है. इसके अलावा जिन ट्रेनों के रूट को डायवर्ट किया गया है उन ट्रेनों को अब जाखल-धुरी-लुधियाना और अंबाला-चंडीगढ़-न्यू मोरिंडा-सरहिंद-साहनेवाल लाइनों से होकर भेजा जाएगा. इसके साथ ही अमृतसर और दरभंगा के बीच जन नायक एक्सप्रेस अंबाला जंक्शन स्टेशन पर शुरू और यहीं पर आकर रुकेगी. इसे शॉर्ट ओरिजिनेट किया गया है.
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इधर अंबाला डिविजन के रेल सेवाओं पर भी किसानों के रेल रोको आंदोलन का खासा असर पड़ा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आंदोलन के कारण अब तक 2853 ट्रेनों पर इसका असर पड़ा है. इनमें से 1154 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है. इसके अलावा 228 ट्रेनों को शॉर्ट टर्मिनेट किया गया है.रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार अब तक 1159 ट्रेनों के रूट बदले गए हैं जबकि 312 मालगाड़ियों को दूसरे रूट पर डायवर्ट किया गया है. इतना ही नहीं ट्रेनों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसके कारण रेल से यात्रा करने वालों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
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किसानों के आंदोलन के कारण पंजाब सिर्फ रेलवे ही नहीं उद्योग धंधों पर भी असर पड़ रहा है. इसके कारण एआईटीएफ के सदस्यों में आंदोलन को लेकर गुस्सा है. उन्होंने फैसला किया है कि जबतक किसान अपना आंदोलन खत्म नहीं करते हैं और रेलवे ट्रेक से नहीं हटते हैं तब तक व्यापारियों की तरफ से किसानों के आंदोलन को ना ही नैतिक समर्थन देंगे और ना ही उन्हें किसी प्रकार का आर्थिक सहयोग देंगे. बता दें कि किसान तीन किसानों की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब तक किसानों को रिहा नहीं किया जाएगा वो अपना आंदोलन जारी रखेंगे.
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