अदरक की खेती किसानों के लिए फायदेमंद होती है क्योंकि इसकी मांग पूरे साल भर बनी रहती है. इसलिए किसानों को इसके हमेशा अच्छी कीमत भी मिलती है. पर कीट और रोग अदरक की खेती के सबसे बड़े दुश्मन माने जाते हैं. क्योंकि इसके कारण किसानों को खूब नुकसान होता है. इसलिए इसकी खेती में रोग और कीट प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. इससे किसानों को अच्छी पैदावार हासिल होती है और अच्छी कमाई भी होती है.
अदरक में होने वाले रोगों की बात करें तो इसकी खेती में मुख्य तौर पर राइजोम राट, पीलीया, पत्ती धब्बा रोग और उकठा रोग होता है. उचित प्रबंधन से इन रोगों से खेत को बचाया जा सकता है.
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राइजोम राटः यह अदरक की एक प्रमुख बीमारी है. यह रोग पौधौं की निचली पत्तियों से शुरू होता है. जो पीले हो जाते हैं. इसके बाद तने से कंद के जुड़ाव के स्थान पर गलन शुरू हो जाता है. इसके कारण खींचने पर जड़ के पास के कंद टूट कर अलग हो जाता है. इसके बाद कंद में सड़न और बदबू आने लगती है. सितंबर-अक्तूबर महीने में बारिश कम होने पर इस रोग का प्रकोप देखने के लिए मिलता है. इस रोग से पूरी फसल प्रभावित हो जाती है.
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इस रोग को येलो डीजीज भी कहा जाता है. यह फंगस जनित बीमारी है जो फ्यूजेरियम फंगस के द्वारा होती है. इस रोग में पत्तियां किनारे से सूखने लगती हैं. बाद में पूरी पत्तियां सूखकर पीली पड़ जाती है. इस रोग में भी जमीन के पास कंद और तने के जुड़ाव के स्थान पर पौधा सड़ जाता है. इस रोग का प्रसार बीज और मिट्टी से होता है. पत्ते सूख जाने के कारण पौधों में प्रकाश संश्लेषण प्र्क्रिया नहीं हो पाती है. इसके कारण पैदावार प्रभावित होती है.
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