भारत एक कृषि प्रधान देश हैं. यहां पर किसान खेती के साथ-साथ मछली पालन भी करते हैं. इससे किसानों की अच्छी कमाई होती है. लेकिन गर्मी के मौसम में किसानों की चिंताएं बढ़ जाती हैं. क्योंकि अधिक गर्मी की वजह से तालाबों का पानी भी गर्म हो जाता है. इससे मछलियों को नुकसान पहुंचता है. कई बात तो अधिक तपन और तालाब का पानी ज्यादा गर्म होने से मछलियां मरने भी लगती हैं. लेकिन अब किसानों की चिंता करने की जरूरत नहीं है. वे नीचे बताई गई सलाह को अपनाकर गर्मी से अपनी मछलियों को तालाब में बचा सकते हैं.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, डीन कॉलेज ऑफ फिशरीज मीरा डी अंसल ने कहा कि भीषण गर्मी पड़ने पर किसानों को मछलियों को गर्म पानी से बचाने के लिए तालाब में 5 से 6 फीट पानी की गहराई बनाए रखें. अंसल ने कहा कि इस दौरान ऑक्सीजन के स्तर की निगरानी भी करते रहना चाहिए. उनकी माने तो तालाब में बढ़ी हुई जैविक गतिविधि के कारण भोर के दौरान ऑक्सीजन का लेवल बहुत नीचे गिर जाता है. इसलिए उन्होंने तालाब में ऑक्सीन का लेवल अधिक से अधिक बनाए रखने की सलाह दी है.
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उन्होंने सूर्योदय से पहले तालाबों में ताजा पानी डालकर या एरेटर का उपयोग करके साफ करने की सलाह दी. यदि मछली को पानी की सतह पर हवा के लिए हांफते हुए देखा जाए, तो हवा दें, और पानी की गुणवत्ता में सुधार होने तक खाद देना और खिलाना बंद कर दें. उनका कहना है कि पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने से मछली के उत्पादन और वृद्धि को बढ़ावा को मिलेगा. डीन ने कहा कि तालाब का बचा हुआ पानी पोषक तत्वों से भरपूर होगा और इसका उपयोग धान और अन्य कृषि क्षेत्रों की सिंचाई के लिए किया जा सकता है.
पशु चिकित्सक विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने कहा कि तालाब में मछलियों की चारे की बर्बादी को कम करने के लिए खेत में बने पेलेट फ़ीड का उपयोग करें. यदि पानी गहरे हरे, भूरे, हरे-भूरे रंग का हो जाए या पानी की सतह पर शैवाल के फूल दिखाई दें, तो स्थिति सामान्य होने तक खाद डालना और खिलाना बंद कर दें. पानी के पीएच में दिन और रात के अंतर की भी जांच करें, जो दिन के दौरान 9.5 को पार कर सकता है और रात में 7.0 से नीचे गिर सकता है. हालांकि, इसका अच्छा पीएच रेंज 7.5 से 8.5 माना जाता है.
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विशेषज्ञों ने कहा कि किसानों को बंपर मछली का प्रोडक्शन प्राप्त करने के लिए तालाबों में अत्यधिक भंडारण, चारा डालने या खाद डालने से बचना चाहिए. इससे इनपुट लागत बढ़ती है और पानी की गुणवत्ता ख़राब होती है. इसके अलावा, तापमान और पीएच में वृद्धि के साथ अमोनिया विषाक्तता बढ़ जाती है, जिससे तनाव और बीमारी का प्रकोप या मृत्यु दर बढ़ जाती है. ऐसी स्थिति में, तालाबों को अच्छी तरह से हवादार रखें, सामान्य नमक डालें और विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार जिप्सम/फिटकरी डालें.
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