अमृसर के भाला पिंड में अजनाला सहकारी चीनी मिल में गन्ने की धीमी पेराई पर किसानों ने चिंता जताई और मिल प्रबंधन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. मिल को गन्ना देने के लिए जिन किसानों ने पहले से कॉन्ट्रेक्ट किया है, उनका दावा है कि मिल की क्षमता हर दिन 25,000 क्विंटल गन्ने की पेराई करने की है, लेकिन यह केवल 15,000 क्विंटल ही पेराई कर रही है. किसानों की शिकायत है कि गन्ना पेराई में देर होने से उन्हें नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि इससे रिकवरी कम होगी और उनकी कमाई घट जाएगी.
जम्हूरी किसान सभा के नेता डॉ. सतनाम सिंह अजनाला और गन्ना किसान नेता गुरनाम सिंह सैदोगाजी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने गन्ने की धीमी उठान को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर कीं. दैनिक ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने अजनाला सहकारी चीनी मिल के महाप्रबंधक सुभाष चंद्र से मुलाकात की. हालांकि, बैठक में महाप्रबंधक और किसानों के बीच कथित तौर पर बहस हुई, जिससे तनाव पैदा हो गया. किसानों ने प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी भी की.
डॉ. सतनाम सिंह अजनाला ने बताया कि चीनी मिल की पेराई क्षमता 25,000 क्विंटल प्रतिदिन है और 15 अक्टूबर से इसके चालू होने की तारीख दी गई. हालांकि, मिल ने दिसंबर के आखिरी सप्ताह में ही पेराई शुरू की. पिछले दो महीनों से मिल अपनी क्षमता से कम चल रही है और हर दिन केवल 15,000 क्विंटल पेराई कर रही है.
कम पेराई के सवाल पर महाप्रबंधक सुभाष चंद्र ने किसानों के प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि मिल की अधिकांश मशीनरी पुरानी होने के बावजूद, इसमें अभी भी किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त क्षमता है. इस पर किसान नेता अजनाला ने जोर देकर कहा, "मिल प्रबंधन को अपने किसानों से किए गए वादे को पूरा करना चाहिए और तय करना चाहिए कि पूरी फसल की पेराई हो.
अजनाला ने कहा, खेतों में खड़े गन्ने के कारण किसान मक्का जैसी दूसरी फसलों की खेती नहीं कर पा रहे हैं. कुछ किसान तो अपना गन्ना मेहता की एक निजी मिल में भी ले जा रहे हैं, जिससे उन्हें ढुलाई की अधिक लागत उठानी पड़ रही है. मिल के सर्वेक्षक अपने काम ठीक से नहीं कर रहे हैं और कुप्रबंधन के कारण पेराई का काम धीमा हो गया है."
किसानों को इस बात की परेशानी है कि अगर गन्ना कट कर मिल में नहीं जाएगा तो खेत खाली नहीं होगा. खेत खाली नहीं होने से अगली फसल में देरी होगी. अभी किसान मक्के की खेती करना चाहते हैं और इसके लिए वे बीज और खाद के इंतजाम में लग गए हैं. लेकिन जब तक गन्ना कटकर मिल में नहीं जाएगा और उसकी पेराई नहीं होगी, तो वे खेत में अगली फसल नहीं लगा पाएंगे. किसान इसलिए भी परेशान हैं कि उनका गन्ना सूख जाएगा तो उससे चीनी की रिकवरी कम होगी जिससे उनकी कमाई पर संकट आएगा.
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