राजस्थान के किसानों के लिए एक खास कृषि एडवाइजरी जारी की गई है. यह एडवाइजरी सरसों की फसल को लेकर है. इसमें सिंचाई को लेकर सलाह दी गई है कि सावधानी के साथ सरसों में पानी देना चाहिए, वर्ना इससे कॉलर रोट नामक बीमारी का खतरा बढ़ सकता है. यह बीमारी इतनी खतरनाक होती है जो पूरी फसल को चौपट कर सकती है. बीकानेर स्थित स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय (SKRUM) की ओर से यह एडवाइजरी जारी की गई है. SKRUM ने कहा है कि एडवाइजरी पर किसान अगर अमल करें तो निश्चित रूप से उनकी सरसों की फसल बेहतर होगी. इससे पैदावार बढ़ेगी और किसानों की कमाई में इजाफा होगा.
इस कड़ी में कृषि अनुसंधान केंद्र, बीकानेर के क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान, डॉ. एचएल देशवाल ने सरसों की फसल पर एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि सरसों की फसल में पहली सिंचाई एक महीने से पहले न करें. उन्होंने कहा कि सरसों में बुवाई के एक महीने पहले सिंचाई करने पर कॉलर रोट नामक बीमारी का खतरा बढ़ सकता है. अभी तापमान भी अधिक चल रहा है. ऐसे में सरसों में जल्दी सिंचाई करने पर फसल के झुलसने का खतरा बढ़ सकता है.
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संस्थान ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि सरसों में पहली सिंचाई करते वक्त खेत में नमी की मात्रा जरूर जांच लें. अगर जरूरी हो तभी सिंचाई करें वर्ना फसल के झुलसने का खतरा रहेगा. फसल पर कॉलर रोट नामक बीमारी भी लग सकती है. डॉ. देशवाल ने कहा कि खेत की नमी मापने के लिए जमीन से 4-5 सेमी की गहराई से सैंपल लेना चाहिए. जब लगे की नमी कम है तभी सिंचाई करनी चाहिए. अधिक सिंचाई से बचना चाहिए क्योंकि इससे सरसों में बीमारी फैल सकती है.
जिन किसानों ने जल्दी सिंचाई कर दी है उनकी फसल में झुलसने का लक्षण दिखाई देने लगा है. यह कॉलर रोट बीमारी का संकेत है. अगर ऐसा लक्षण दिखे तो तुरंत दवा का इंतजाम करना चाहिए. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे तुरंत इसका उपचार करें. इसके लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन 200 पीपीएम (200 मिली ग्राम प्रति लीटर पानी) और कार्बेंडाजिम 50 डब्ल्यूपी (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) का घोल बनाकर पौधों पर छिड़काव करना चाहिए. ध्यान रखना है कि यह छिड़काव केवल संक्रमित पौधों पर ही करना है. अगर दूसरी फसलों पर छिड़काव करते हैं तो उनके झुलसने का खतरा बढ़ जाएगा.
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दूसरी ओर आईएमडी ने बताया कि बीकानेर जिले में 26 नवंबर तक मौसम साफ रहने की संभावना है. हालांकि इस दौरान तेज हवाएं चलेंगी जिससे हवा में और मिट्टी में नमी की मात्रा घट सकती है. किसानों को सलाह दी गई है कि वे मौसम पर ध्यान रखें और वैज्ञानिक सलाह मानते हुए सरसों आदि फसलों को कीट-बीमारी से बचाएं.
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