इन दिनों खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी Heatwave का सामना कर रहे भारतीय शहर Heat Island effect से बुरी तरह प्रभावित हैं. पर्यावरण से जुड़े शोध संस्थान Center For Science and Environment (CSE) ने लगातार बढ़ रही गर्मी पर अपनी अध्ययन रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. रिपोर्ट के मुताबिक कुदरत के इस कहर का सीधा असर महानगरों में आम जनजीवन पर खतरनाक रूप से दिख रहा है. इस असर को Heat Stress कहा गया है, जिसमें जमीन की सतह और हवा के तापमान के साथ उमस से उपजने वाली परेशानी शामिल है. सीएसई के अध्ययन में तपती धरती पर Heat Stress को मापने के लिए इस्तेमाल किए गए Heat Index के मुताबिक किसी भी इलाके का 41 डिग्री से. तापमान सेहत के लिए खतरनाक स्तर का संकेत है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में Heat Stress की वजह से शहरी जीवन के प्रभावित होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश के 6 प्रमुख महानगरों में अब रात का तापमान भी ठंडक नहीं दे पा रहा है.
रिपोर्ट में मौसम विभाग के तापमान संबंधी पिछले 100 साल के आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि भारत के लिए साल 2023 1901 के बाद, अब तक का सबसे गर्म साल रहा है. IMD के तापमान संबंधी आंकड़ों के आधार पर सीएसई की रिपोर्ट में शहरों का Heat Index तेजी से बढ़ने की बात कही गई है. रिपोर्ट के अनुसार देश के छह प्रमुख महानगर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद में गर्मी के दौरान उमस बढ़ने से हीट इंडेक्स में तेजी से उछाल आ रहा है.
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रिपोर्ट में शहरी क्षेत्रों का हीट इंडेक्स ऊंचा रहने का सबसे खतरनाक असर रात के तापमान में गिरावट न होने के रूप में भी दिख रहा है. मौसम विज्ञान के मुताबिक आम तौर पर गर्मी के मौसम में धरती की सतह का तापमान दिन के समय अधिकतम तापमान की तुलना में रात के समय 6 से 13 डिग्री से. तक कम हाे जाता है. साल 2001 से 2010 के दौरान रात के समय तापमान में यह गिरावट देखी भी गई, मगर साल 2014 से 2023 के दौरान एक दशक में रात में तापमान की गिरावट में लगातार कमी देखी गई. इस अवधि में यह घटकर 6 से 11 डिग्री से. तक रह गई है. देश के 6 प्रमुख महानगरों में कोलकाता को छोड़कर शेष अन्य शहरों में गर्मी के दौरान रातें अब ठंडी नहीं हो रही हैं.
गर्मी की तीव्रता को लेकर साल दर साल हो रहे बदलाव का विश्लेषण करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में हरे भरे जंगलों की बजाय कंक्रीट के जंगल उभरने के कारण ये हालात पैदा हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सरकार और समाज को मिलकर कम से कम शहरी क्षेत्रों के लिए Heat Management Plan बनाने की सख्त जरूरत है.
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इस प्लान में वर्तमान आपात स्थिति को देखते हुए तात्कालिक उपाय करने होंगे. इसमें Heat Stress के दायरे में आने वाले लोगों की सेहत को संभावित खतरे से बचाने के लिए पेयजल, ठंडे स्थान और साफ हवा के विकल्प उन लोगों को उपलब्ध कराने होंगे, जिनके पास बेहद सीमित संसाधन हैं.
वहीं Long Term Plan में शहरी क्षेत्रों का ग्रीन कवर बढ़ाने, जलस्रोतों को बेहतर बनाने, इमारतों को तापरोधी बनाने के साथ वाहन, एयर कंडीशनर और उद्योग जनित ताप वृद्धि को रोकने के पुख्ता इंतजाम करने होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि अत्यधिक गर्मी और उमस का साझा हमला इंसान के शरीर को ठंडा रखने वाला कुदरती तंत्र पर बुरा असर डालता है. इसमें गर्मी के कारण त्वचा से निकलने वाला पसीना वाष्पित होकर शरीर को ठंडक पहुंचाता है, लेकिन उमस की अधिकता, गर्मी में शरीर को ठंडा रखने की इस प्रणाली को प्रभावित करती है. इसी के फलस्वरूप जमीन और हवा के तापमान की अधिकता के बीच आर्द्रता के बढ़ने से शरीर के बीमार होने का खतरा गहराने से Heat Stress बढ़ता है.
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