छठ महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर यानी शुक्रवार से हो जाएगी. लोक आस्था के इस पर्व का पहला दिन नहाय-खाय से शुरू होता है और यह चार दिनों तक चलता है. पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन शाम में डूबते सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इसका समापन होता है. वहीं छठ पूजा में सबसे अधिक महत्व प्रसाद का होता है. इसमें अलग-अलग फलों और प्रसाद चढ़ाने की मान्यता है.
माना जाता है कि छठी मईया को ये सारे फल और प्रसाद बहुत ज्यादा पसंद हैं. इनका प्रसाद चढ़ाने से छठी मईया सबसे ज्यादा प्रसन्न होती हैं. आइए जानते हैं कौन से हैं वो प्रसाद जिनका इस पर्व में अधिक महत्व है.
छठ महापर्व में वैसे तो कई प्रसाद चढ़ाए जाते हैं, लेकिन उसमें सबसे अधिक महत्व ठेकुए का होता है. ठेकुए को गुड़ और आटे से बनाया जाता है. छठ की पूजा ठेकुआ के बिना अधूरी मानी जाती है.
आपने छठ पूजा में सूप में डाब नींबू जरूर देखा होगा. डाब नींबू सामान्य नींबू से बड़ा होता है. इसका स्वाद खट्टा–मीठा होता है. इसका आकार बहुत बड़ा होता है, जिस कारण पशु-पक्षी खा नहीं पाते हैं. इसकी वजह से इसे शुद्ध माना जाता है. यही वजह है कि ये फल छठी मईया को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है.
केला छठी मईया को बहुत पसंद है. माना जाता है कि केला भगवान विष्णु का भी प्रिय फल है. इसमें भगवान विष्णु वास करते हैं. वहीं केला को काफी शुद्ध फल माना जाता है. छठी मईया को प्रसन्न करने के लिए लोग कच्चा केला भी चढ़ाते हैं. पूजा में कच्चे केले को घर लाकर पकाया जाता है ताकि फल झूठा न हो जाए.
छठ पूजा में गन्ने का भी काफी महत्व है. छठ पूजा में गन्ने से बने गुड़ का इस्तेमाल भी प्रसाद में किया जाता है. वहीं गन्ने से पूजा करने वाले स्थान को सजाया भी जाता है. मान्यता है कि छठी मईया घर में सुख–समृद्धि लाती है. छठी मईया को गन्ना बहुत प्रिय है. साथ ही गन्ने पर कोई भी पशु-पक्षी नहीं बैठते इसलिए इसे शुद्ध माना जाता है.
छठ पूजा में नारियल चढ़ाने का भी महत्व है. छठ पर्व में पवित्रता का सबसे अधिक ध्यान दिया जाता है. नारियल चढ़ाने से घर में लक्ष्मी आती है. कुछ लोग नारियल चढ़ाने की मनौती मांगते हैं. इसलिए इस फल का महत्व है.
सुथनी मिट्टी से निकलती है, इसलिए इसे शुद्ध माना जाता है. सुथनी का इस्तेमाल छठ पूजा में होता है. इसमें कई औषधीय गुण होते हैं. सुथनी खाने में शकरकंदी की तरह होती है. यह फल बहुत शुद्ध माना जाता है इसलिए छठ पूजा में इस्तेमाल होता है.
हिंदू धर्म की किसी भी पूजा में सुपारी का खास महत्व होता है. किसी भी पूजा का संकल्प बिना पान सुपारी के नहीं होता है. सुपारी पर देवी लक्ष्मी का प्रभाव माना जाता है. यही वजह है कि ये फल छठी मईया को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है.
पानी में रहने के कारण जल सिंघाड़ा सख्त हो जाता है, इसलिए पशु-पक्षी इसे झूठा नहीं कर पाते हैं. यह माता लक्ष्मी का प्रिय फल भी माना जाता है. साथ ही इस फल में बहुत से औषधीय गुण मौजूद होते हैं. वहीं इसके शुद्धता की वजह से इसका छठ पूजा में अधिक महत्व है.
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