दिवाली के उल्लास के बाद अब दूसरा बड़ा त्योहार है छठ. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ का ये त्योहार मनाया जाता है. छठ पूजा का पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है. इस पर्व को धूमधाम के साथ मनाया जाता है. छठ पूजा पर लोग विधि-विधान के साथ पूजा करते हैं. ये मुख्य रूप से बिहार से जुड़ा पर्व है जिसे अब पूरे देश भर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस बार आस्था का महापर्व छठ 17 नवंबर से 20 अक्टूबर तक चलेगा.
कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि यानी पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दौरान व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं. इस पर्व पर लोग छठ मईया को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के फलों को अर्पित करते हैं. इन फलों में गन्ने का महत्व सबसे अधिक होता है. क्या आप जानते हैं इसका क्या महत्व है?
छठ पूजा पर फलों का खास महत्व होता है. छठ पूजा में कई तरह के फल का इस्तेमाल होता है. गन्ना इनमें सबसे खास फल होता है. इसके अलावा इसमें नारियल, केला, नींबू, सिंघाड़ा, सुपारी अहम फल होता है.
ये भी पढ़ें:- Chhath Pooja 2023: छठ में क्यों किया जाता है बांस के सूप का इस्तेमाल, जानें क्या है इसके पीछे की कहानी
कहा जाता है कि गन्ने को पूजा में रखने से छठी मईया प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि आती है. मान्यता यह है कि छठी मईया को गन्ना बहुत पसंद होता है इसलिए इसे चढ़ाए बिना छठ की पूजा पूरी नहीं होती. इस दिन लोग शाम में आंगन में कई सारे गन्ने को एक साथ रखकर छठ मईया की पूजा करते हैं. इन सभी गन्नों को घर के रूप की आकृति में सजाया जाता है और फिर पूजा की जाती है. इस तरह पूजा करने से छठ मईया प्रसन्न होती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि भी आती है. इसके अलावा लोक कथाओं के अनुसार गन्ने का इस्तेमाल इसलिए पूजा में होता है क्योंकि गन्ने पर कोई भी पक्षी और पशु नहीं बैठता है इसलिए इसे शुद्ध माना जाता है.
वहीं दूसरी मान्यता यह भी है कि छठ पूजा में सबसे पहले नई फसल का प्रसाद चढ़ाया जाता है, इसलिए प्रसाद के रूप में गन्ना जरूर चढ़ाना होता है. एक अन्य कहावत यह भी है कि गन्ने को पूजा में उपयोग करना इसलिए भी सबसे अच्छा बताया गया है क्योंकि इसे कोई पशु या पक्षी झूठा नहीं करता है और ये सबसे शुद्ध होता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today