चंदन की खेती कमाई का एक बेहतर जरिया हो सकता है. गोरखपुर के रहनेवाले चंदन किसान अविनाश ने इसे साबित करके दिखाया है. पुलिस की नौकरी करने वाले अविनाश ने नौकरी छोड़कर सफेद चंदन की खेती की शुरुआत की. मात्र पांच पौधों से खेती की शुरुआत करने वाले अविनाश आज 10 राज्यों में 50 एकड़ में करते है खेती. क्योंकि चंदन की खेती में कम लागत और मुनाफा ज्यादा है. बस किसानों को थोड़ा इंतजार करना पड़ता है. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के पादरी बाजार के रहने वाले अविनाश कुमार यादव ने सबसे पहले गोरखपुर में सफेद चंदन की खेती की नींव रखी है. यहां से शुरुआत करने के बाद अब वो पूर्वांचल के आस पास से होते हुए 10 राज्यों तक सफेद चंदन की खेती कर रहे हैं और किसानों को भी इसकी सीख दे रहे हैं. उनका मानना है कि आने वाले 10 सालों के बाद इससे उन्हें करोड़ों रुपये की इनकम होगी. उनकी इस पहल से जिले के काफी किसान अब सफेद चंदन की खेती करने लगे हैं.
अविनाश कुमार यादव ने बताया कि सफेद चंदन की खेती करने का विचार उनके मन में साल 2012 में आया था. इसके बाद उन्होंने प्रयोग के तौर पर 5 से 7 पौधा अपने खेतों में लगाया. उन्होंने बताया की पौधों में काफी तेजी से ग्रोथ जिसे देखते हुए उन्हें लगा की चंदन की खेती में बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है. इसके बाद साल 2018-19 में वो कनार्टक से 50 सफेद चंदन के पौधे लेकर आए. एक पौधे की कीमत 200 रुपये थी. अविनाश बताते हैं कि बचपन से उनका रुझान खेती-किसानी तरफ रहा है. इसलिए अब तक देश के 80 कृषि विज्ञान केंद्र और 25 कृषि विश्वविद्यालय का दौरा करके खेती के नई-नई तकनीक की जानकारी ली. उन्होंने कहा कि अपने खेत में चंदन के पौधे लगाए हैं, जो अब धीरे-धीरे पेड़ बनने लगे हैं. वहीं सफेद चंदन की खेती कम समय में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है.
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अविनाश कहते हैं कि सफेद चंदन के पौधों को अधिक देखभाल की जरूरत नहीं है. शुरू के एक साल में खास देखभाल की जरूरत होती है. बंजर जमीन पर भी इसकी की खेती की जा सकती है. इसको कम पानी की जरूरत होती है. सफेद चंदन के पेड़ है की ऊंचाई 15 से 20 फीट होती है. इसे तैयार होने में 15-20 साल लगते हैं. सफेद चंदन को बढ़ने के लिए किसी सहायक पौधे की जरूरत होती है. सफेद चंदन के लिए सहायक पौधा अरहर है, जो कि पौधा के विकास में सहायक होता है. अरहर की फसल से चंदन को नाइट्रोजन तो मिलता ही है साथ ही इसके तने और जड़ों की लकड़ी में सुगंधित तेल का अंश बढ़ता जाता है.
अविनाश ने बताया कि सफेद चंदन का इस्तेमाल औषधीय बनाने, साबुन, अगरबती, कंठी माला, फर्नीचर, लकड़ी के खिलौने, परफ्यूम, हवन सामग्री और विदेशों में फूड में होता है. अविनाश के मुताबिक, एक एकड़ जमीन पर सफेद चंदन के 410 पौधे लगाए जा सकते हैं. पौधों के बीच कम से कम 10 फीट की दूरी होना जरूरी है. एक एकड़ में सफेद चंदन के पौधे लगाने में करीब 1 लाख रुपये तक की लागत आती है. उन्होंने बताया कि सफेद चंदन की खेती करने का आइडिया उनकी पत्नी किरण यादव ने दिया था जो शबला सेवा संस्थान की अध्यक्ष हैं.
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अविनाश बताते हैं कि पहले वो इसकी खेती करने के लिए तैयार नहीं थे पर उन्होंने इसके लिए कई जगहों का दौरा किया और फिर इसकी शुरुआत की. आज वो झारखंड वेस्ट बंगाल पश्चिम बंगाल बिहार मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ राजस्थान उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश सहित 10 राज्यों में लगभग 50 एकड़ में सफेद चंदन की खेती करते हैं. शबला सेवा संस्थान की तरफ से इसके लिए उन्हें काफी सहयोग मिला है. उनके दो बच्चे हैं, एक बेटा है एक बेटी है. बेटा कसान बनना चाहता है और बेटी मेडिकल की तैयारी कर रही है. अविनाश मूल रुप से बिहार मधुबनी के रहने वाले हैं. पर उनका जन्म गोरखपुर में हुआ. 1998 में पुलिस की मौकरी ज्वायन की. इसके बाद 2005 में इस्तीफा देकर खेती में आ गए. (गजेंद्र त्रिपाठी की रिपोर्ट)
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