हरियाणा के यमुनानगर जिले के एक गांव में अपने खेत में धान की पराली जलाने के आरोप में एक किसान पर मामला दर्ज किया गया है. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी. जिले के कृषि उपनिदेशक आदित्य प्रताप डबास ने बताया कि 12 अक्टूबर को रादौर थाना क्षेत्र में रणवीर सिंह के खिलाफ वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम और कानून की अन्य संबंधित धाराओं के तहत घिलौर गांव में 1.25 एकड़ कृषि भूमि में पराली जलाने का मामला दर्ज किया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि इस सीजन में यमुनानगर जिले में पराली जलाने के लिए यह पहली एफआईआर दर्ज की गई है. इस सीजन में पराली जलाने और एयर क्वालिटी पर इसके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए हरियाणा के मुख्य सचिव टी वी एस एन प्रसाद ने हाल ही में सभी उपायुक्तों और संभागीय आयुक्तों को राज्य भर में ऐसी घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया. प्रसाद ने अधिकारियों से पराली जलाने की घटनाओं पर सक्रिय रूप से नज़र रखने के लिए उपग्रह डेटा और ग्राउंड रिपोर्ट का उपयोग करने और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए संबंधित विभागों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया.
मुख्य सचिव ने पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में किसानों को शिक्षित करने के लिए प्रभावी आउटरीच कार्यक्रमों की जरूरत पर बल दिया और जिला अधिकारियों से पर्यावरण अनुकूल फसल अवशेष प्रबंधन तकनीकों को बढ़ावा देने और सुपर सीडर और हैप्पी सीडर जैसे उपकरणों के लिए सरकारी सब्सिडी देने का आग्रह किया.
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इस घटना से साफ है कि पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने और पराली जलने से रोकने के लिए प्रशासन ने कारवाई शरू कर दी है. यमुनागर की तरह ही सोनीपत में भी पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. यहां अभी तक महज 8 केस ही सामने आए हैं, लेकिन प्रशासन की चिंता बढ़ गई है. किसान प्रशासन की अपील के बाद भी नहीं मान रहे हैं. सोनीपत डीसी ने किसानों से अपील की है कि वह खेतों में पराली ना जलाएं बल्कि पराली का समाधान के लिए प्रशासन की सहायता लें.
खेतों में उठता हुआ धुआं यह बताने के लिए काफी है कि प्रशासन की सख्ती का किसानों पर कोई भी प्रभाव नहीं है. किसान पराली जलाने से नहीं रुक रहे हैं. प्रशासन के अधिकारी दावा तो कर रहे हैं कि सोनीपत के किसान इस बार अच्छी पहल कर रहे हैं, लेकिन शायद वह भी दफ्तर में बैठकर ही दावा करते नजर आए. हालांकि अभी तक सोनीपत से महज 8 केस ही सामने आए हैं जिनमें से 6 केस एक दिन और दो केस एक दिन में सामने आए हैं. सोनीपत डीसी किसानों से अपील कर रहे हैं कि पराली ना जलाएं, लेकिन अपील का असर किसानों पर नहीं है और वे पराली जला रहे हैं.
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सोनीपत डीसी मनोज कुमार का कहना है कि सोनीपत के किसानों की पहल सराहनीय है और पराली के बहुत कम केस सामने आए हैं. अभी तक की बात कर ली जाए तो एक दिन में 6 और दूसरे दिन दो केस सामने आए हैं. पराली जलाने से पर्यावरण तो प्रदूषित होता ही है, वहीं खेतों में भी नुकसान होता है. इसलिए वह किसानों से अपील करते नजर आए कि वे पराली ना जलाएं, बल्कि अगर पराली का समाधान नहीं निकल रहा है तो प्रशासन की सहायता लें. डीसी का कहना है कि अभी तक किसानों का कदम सराहनीय है, लेकिन अगर किसान पराली जलाते हैं तो प्रशासन को मजबूरी में कार्रवाई करनी पड़ेगी, जिससे किसान और उसके परिवार पर भी प्रभाव पड़ेगा. इसीलिए किसान पराली ना जलाएं.
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