Farmers Protest News: पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसान अपनी कई मांगों को लेकर दिल्ली मार्च रहे हैं. आज आंदोलन का चौथा दिन है. हालांकि इस बीच सरकार और किसान नेताओं के बीच तीसरे दौर की वार्ता भी हुई. पर उसके बहुत अच्छे परिणाम नहीं निकलें. इधर संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) समेत कई किसान संघों ने आज ग्रामीण भारत बंद आह्वान किया है. इसी कड़ी में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से खास बातचीत में कहा कि किसान आंदोलन को लेकर 17 फरवरी को मुजफ्फरनगर के सिसौली में होने वाली पंचायत में रणनीति तैयार की जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार अपने वादों से मुकर गई है. किसानों को अपने हक के लिए फिर से आंदोलन करना पड़ रहा है.
चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया तो भाकियू भी आंदोलन में भाग ले सकती है. उन्होंने शुक्रवार को भारत बंद में सहयोग करने का आह्वान किया. वहीं 17 फरवरी को मुजफ्फरनगर के सिसौली में पंचायत की जाएगी. इसमें विचार-विमर्श के बाद महत्वपूर्ण फैसले लिए जाएंगे. वहीं, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि 16 फरवरी को किसान खेतों में कार्य न करें. उन्होंने कहा कि आज मजदूर भी हड़ताल पर रहेंगे. इससे सोच की नई दिशा का पता चलेगा और यह भी पता चल जाएगा कि आंदोलन में कितने लोग हिस्सा ले रहे हैं.
बता दें कि कई मांगों में सबसे प्रमुख है फसलों की एमएसपी गारंटी का कानून. किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकालने की भी बात कही है. इसे देखते हुए पूरी दिल्ली को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. दिल्ली के सभी बॉर्डर पर चौकसी बढ़ा दी गई है. कंक्रीट और कंटीले तारों के बाड़े लगाए गए हैं. हरियाणा में शंभू बॉर्डर के अलावा कुंडली बॉर्डर, इधर दिल्ली में गाजीपुर बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर पुलिस फोर्स को तैनात कर दिया गया है.
किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक के मांग पत्र में कहा गया है सरकार सभी फसलों की खरीद पर MSP गारंटी अधिनियम बनाए, डॉ. स्वामीनाथन आयोग के निर्देश पर सभी फसलों की कीमतें C2+50 परसेंट फॉर्मूले के अनुसार तय की जाएं, गत्ते का एफआरपी और एसएपी स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के अनुसार दिया जाए, जिससे यह हल्दी सहित सभी मसालों की खरीद के लिए एक राष्ट्रीय प्राधिकरण बन जाए, किसानों और मजदूरों के लिए पूर्ण कर्ज माफी की जाए. इनके अलावा भी और कई मांगें हैं जिसके लिए किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं.
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