बांस की खेती से आजीविका के बेहतर अवसर उपलब्ध हो सकते हैं और इससे अच्छी कमाई भी हो सकती है. देश के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को भी इसकी खेती से जोड़कर सशक्त बनाने की तैयारी की जा रही है. महिलाओं को बांस की खेती से जोड़ने और इसके फायदों के बारे में जागरूक कैसे करें, इसे लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. देश में बांस की खेती के जरिए ही देश की 10 लाख ग्रामीण महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इस लक्ष्य को पूरा करने के उद्देश्य से दीनदयाल अंत्योदय योजना चलाई जा रही है. इस योजना से कई जगहों पर अच्छे परिणाम भी आए हैं.
इससे मिल रहे बेहतर परिणाम के बाद इसे अब देश के सभी राज्यों में लागू करने के लिए दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) ने संयुक्त राज्य अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) और उद्योग फाउंडेशन के साथ भागीदारी में बांस की खेती के जरिए स्थायी ग्रामीण आजीविका, महिला सशक्तिकरण और जलवायु लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए एक सेमिनार का आयोजन किया. सेमिनार में बांस के खेती पर भारत की पहली मैग्जीन लॉन्च की गई, जो सात क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है. ताकि इसके जरिए छोटी जोत वाली महिला किसान भी बांस खेती के बारे में आवश्यक जानकारी हासिल कर सके.
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इस सेमिनार के दौरान ग्रामीण विकास मंत्रालय के अपर सचिव चरणजीत सिंह और यूएसएआईडी की केयरटेकर मिशन निदेशक एलेक्जेंड्रिया ह्यूर्टा ने यूजीएओ ऐप का शुभांरभ किया जो एक डिजिटल टूल है. यह डिजिटल टूल छोटी जोत वाली महिला किसानों के लिए रियल टाइम डेटा मुहैया कराता है. यह ऐप फॉरेस्ट स्टीवर्डशिप काउंसिल (एफएससी) प्रमाणन के लिए एक सप्लाई चेन बनाने में भी सहायता करेगा, जिससे बांस उत्पाद की मांग और निर्यात क्षमता बढ़ेगी. इस दौरान सेमिनार को संबोधित करते हुए चरणजीत सिंह ने कहा कि बांस की खेती आजीविका में सुधार लाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देने का एक अच्छा मौका देती है. यह कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने और उनके विकास को बढ़ावा देते हुए उनके लिए कमाई का साधन उपलब्ध कराना है.
यूएसएआईडी की कार्यवाहक मिशन निदेशक एलेक्जेंड्रिया ह्यूएर्टा ने कहा कि लैंगिक असमानताओं को दूर करना और स्थानीय स्तर पर विकास को बढ़ावा देना यूएसएआईडी की वैश्विक रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है. यूएसएआईडी की पावर परियोजना महिलाओं को सशक्त बना रही है जो स्थानीय स्तर पर चलाई जा रही है और इसने इसी स्तर पर जलवायु संबंधी चुनौतियों के लिए समाधान उपलब्ध कराने का काम किया है. इसे एनआरएलएम के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है. ग्रामीण विकास मंत्रालय की ग्रामीण आजीविका की संयुक्त सचिव स्वाति शर्मा ने कहा कि बांस की खेती के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाते हुए उनके लिए स्थायी आजीविका उपलब्ध कराना मिशन का हिस्सा का है.
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उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम न केवल आर्थिक अवसरों को मुहैया करवाता है, बल्कि यह पर्यावरण को स्थिर बनाने में भी योगदान देता है. साथ ही कहा कि यह पहल देशभर में ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण के लिए एक मॉडल के रूप में काम करेगी.उद्योग फाउंडेशन की सह-संस्थापक नीलम छिबर ने कहा कि बांस की खेती में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने और अनगिनत महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने की अपार संभावनाएं हैं. उद्योग फाउंडेशन की डीएवाई-एनआरएलएम के साथ भागीदारी यूएसएआईडी की उत्पादक-स्वामित्व वाली महिला उद्यम (पॉवर) परियोजना की सफलता पर आधारित है. इसके तहत 37 महिला स्वामित्व वाले उद्यमों और किसान उत्पादक समूहों में 10,000 से अधिक महिलाओं को एकत्रित किया है. इन महिला उत्पादकों ने पिछले पांच वर्षों में 30 लाख डॉलर से अधिक के बाज़ार ऑर्डर पूरे किए हैं.
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