झारखंड में बांस की खेती की बड़ी संभावनाए हैं. यहां की जलवायु बांस की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है. आदिवासी बहुल राज्य होने के कारण यहां बांस की खेती ग्रामीणों के लिए रोजगार का बेहतर जरिया बनती जा रही है. इसके साथ ही सरकारी पहल और विभिन्न संस्थाओं की पहल पर यहां के ग्रामीणों को बांस के विभिन प्रकार के सजावटी वस्तुओं का निर्माण करना सिखाया जा रहा है. इसके अलावा बांस के पारंपरिक, सामान जैसे टोकरी, धान को रखने के लिए बांस के कंटेनर बनाए जाते हैं. झारखंड में बास की खेती के क्षेत्रफल की बात करें तो राज्य में लगभग साढ़े चार लाख हेक्टेयर में बांस की खेती की जाती है. बांस उत्पादन के मामले में झारखंड देश में 13वें नंबर पर आता है.
झारखंड में पहले से ही बड़े पैमाने पर बांस की खेती की जाती है और काफी संख्या में इससे लोगों को रोजगार मिलता है. झारखंड में तैयार हुए बांस के उत्पादों का निर्यात विश्व के 19 देशों में किया जाता है. सिर्फ बांस से ही यहां पर लगभग एक दर्जन प्रकार के उत्पाद तैयार किए जाते हैं. अब फिर से राज्य में बांस की खेती और इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य में बांस मिशन की शुरुआत की जा रही है. राज्य के छह जिले सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, रांची, गुमला और खूंटी में किया जाएगा. केंद्रीय कृषि मंत्री इस बांस मिशन की शुरुआत करेंगे.
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कृषि विज्ञान केंद्र रांची के प्रधान वैज्ञानिक अजीत कुमार ने बताया कि झारखंड बांस मिशन के तहत सभी छह जिलों में बांस उत्पादन के बढ़ावा देने के लिए छह नर्सरी की स्थापना की जाएगी. इसके साथ ही छह जिलों में स्थित कृषि विज्ञान केंद्रों में बांस बाजार की स्थापना की जाएगी. इसके अलावा बांस के कारीगरों को आर्थिक सहायता के साथ साथ तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके अलावा बांस के कारीगरों को बांस के सामान तैयार करने के लिए उपकरण भी दिए जाएंगे. मिशन के कार्यक्रम के तहत बांस की खेती करने वाले किसानों को बांस की खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा. प्रशिक्षण के लिए सभी जिलों के 50-50 किसानों या कारीगरों को चुना जाएगा.
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आगे उन्होंने बताया कि बांस की खेती बढ़ावा देने के लिए और इससे होने वाले फायदे के बारे में किसानों को जागरूक करने के लिए और इसके बारे में तमाम तरह की जानकारी किसानों और कारीगराों तक पहुंनाने के लिए सभी जिलों के मुख्यालय में आयोजित की जाएगी. इसके बाद किसानों को बांस की खेती के बारे में सिखाने के लिए और उन्हें दिखाने के लिए डेमो प्लटॉल बनाए जाएंगे, जिसका क्षेत्रफल एक हेक्टेयर का होगा.साथ किसानों और बांस कारीगरों की सहायता के लिए प्रत्येक कृषि विज्ञान केंद्र में बंबू असिस्टेंट की नियुक्ति की जाएगी. अजीत कुमार ने का कि सरकार की इस पहल से झारखंड में बास की खेती को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही यहां के किसानों की आय बढ़ेगी क्योकि बांस के उत्पाद बनेंगे तो बांस की वैल्यू बढ़ेगी और किसानों को कीमत अच्छी मिलेगी.
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