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गायों को मिल्क फीवर और पेट फूलने से बचाने के लिए ये उपाय करें किसान, पढ़ें मौसम विभाग की सलाह

गायों को मिल्क फीवर और पेट फूलने से बचाने के लिए ये उपाय करें किसान, पढ़ें मौसम विभाग की सलाह

जम्मू-कश्मीर में अभी भी सर्दियां खत्म नहीं हुई हैं. इस मौमम में पशुओं को पेट संबंधी बीमारियां हो सकती हैं. इसलिए पशुओं को उचित आहार दिए जाने की सलाह दी दी गई. खाने में संतुलित मात्रा में खनिज दें क्योंकि इस दौरान पशुओं को संतुलित आहार नहीं देने से मिल्क फीवर और हाइपोमैग्नेसीमिया हो सकता है. इससे बचाव के लिए पशुओं को खाने में मैग्नीशियम और कैल्शियम की खुराक दें. 

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 गायों का ऐसे रखें खयाल (सांकेतिक तस्वीर) गायों का ऐसे रखें खयाल (सांकेतिक तस्वीर)

मार्च का महीना खत्म होने वाला है और अब देश भर के मौसम में बदलाव होगा. सर्दियों के बाद अब गर्मियों का मौसम शुरू हो चुका है. मौसम में हो रहे इस बदलाव के कारण इंसानों के साथ-साथ पशुओं के स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है और उन्हें देखरेख की जरूरत पड़ती है. ऐसे में पशुओं का खास खयाल रखने के लिए भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD की तरफ से सलाह जारी की जाती है. मौसम में बदलाव का सबसे अधिक असर दूध देने वाली गायों पर पड़ता है क्योंकि इस दौरान गायों का दूध कम हो जाता है. इसलिए उनके खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. 

हरियाणा के पशुपालकों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि दूध दूध देने वाले पशुओं के शरीर का तापमान बनाए रखने के लिए उन्हें तेल का मिश्रण खिलाना चाहिए. इसके साथ ही गायों को गुड़ खिलाएं और उनके चारे में पर्याप्त मात्रा में नमक का मिश्रण उपलब्ध कराएं. दूध देने वाले पशुओं को सड़ा हुआ या गंदा आलू नहीं खिलाएं, इससे उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर हो सकता है. उन्हें स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन हरे चारे के साथ  50 ग्राम आयोडीन युक्त नमक या 50 से 100 ग्राम खनिज पदार्थ दें. 

सलाह में कहा गया है कि पशुओं में पेट फूलना रोकने के लिए हरे चारे को गेहूं के भूसे जैसे सूखे चारे के साथ मिलाएं. उन्हें  चावल का भूसा कभी न खिलाएं.अगर पशुओं के पेट फूलने की समस्या आती है तो उन्हें 50-60 मिली तारपीन का तेल या 250-300 मिली सरसों का तेल दे सकते हैं. साथ ही सुनिश्चित करें की पशुओं को टीका लग गया है और उन्हें कृमि नाशक दवा दें. 

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मिल्क फीवर से बचाने के लिए उपाय

जम्मू-कश्मीर में अभी भी सर्दियां खत्म नहीं हुई हैं. इस मौमम में पशुओं को पेट संबंधी बीमारियां हो सकती हैं. इसलिए पशुओं को उचित आहार दिए जाने की सलाह दी दी गई. खाने में संतुलित मात्रा में खनिज दें क्योंकि इस दौरान पशुओं को संतुलित आहार नहीं देने से मिल्क फीवर और हाइपोमैग्नेसीमिया हो सकता है. इससे बचाव के लिए पशुओं को खाने में मैग्नीशियम और कैल्शियम की खुराक दें. 

दूधारू पशुओं को थनैला रोग से बचाने के लिए उनके बैठने की जगह को साफ रखें. साथ ही दूध निकालने के बाद थनों की अच्छे से सफाई करें. फूट एंड माउथ बीमारी से बचाव के लिए टीकाकरण कराएं. दूध की पैदावार बढ़ाने के लिए आहार में मिनरल्स की मात्रा बढ़ाएं. 

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लंपी स्किन डिजीज से बचाव के उपाय

पश्चिम बंगाल के पशुपालकों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि पशुओं को लंबी स्किन डिजीज से बचाने के लिए समुचित उपाय करें. वायरस के कारण होने वाले इस रोग में पशुओं के शरीर पर गांठें बन जाती हैं. इस बीमारी से ग्रसित पशु के शरीर पर गोल-गोल चकते उभर आते हैं. अनके अंगों में सूजन की समस्या आ जाती है. इसके अलावा वो लंगड़ा कर चलते हैं. उन्हें कमजोरी हो जाती है और दूध उत्पादन में कमी हो जाती है. इससे उन्हें गर्भपात भी हो सकता है और संक्रमित पशु की मौत भी हो जाती है. 

इससे बचाव के  लिए पशुओं के घर को साफ-सूथरा रखें. शरीर में गांठ होने पर शरीर को पोटैशियम परमैंगनेट के घोल से साफ करें. जरूरत पड़ने पर पशु चिकित्सक की सलाह से एंटीसेप्टिक लोशन का इस्तेमाल कर सकते हैं. बुखार होने पर पशुओं को पैरासिटामोल खिलाएं. साथ ही संक्रमित पशु के कोरेटिंन रखने की सलाह दी जाती है.