Crime Against Women : 'माननीय' भी पीछे नहीं है महिलाओं के विरुद्ध हिंसा करने में, 3 फीसदी का दामन है दागदार

Crime Against Women : 'माननीय' भी पीछे नहीं है महिलाओं के विरुद्ध हिंसा करने में, 3 फीसदी का दामन है दागदार

भारत में ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक, सभी जगह crime against women गंभीर चिंता का विषय है. इससे भी बड़ी चिंता ये है कि इन अपराधों में सांसद और विधायक भी संलिप्त हैं, जिन पर समाज के सम्मुख साफ सुथरी छवि पेश करने की Constitutional Obligation निभाना अपेक्षित है. हमारे इन 'माननीयों' का आपराधिक रिपोर्ट कार्ड महिला हिंसा में इनकी संलिप्तता को उजागर करता है.

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Crime Against Women : 'माननीय' भी पीछे नहीं है महिलाओं के विरुद्ध हिंसा करने में, 3 फीसदी का दामन है दागदारएडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक महिला सुरक्षा के लिए एमपी एमएलए भी बने खतरा (India Today Graphics)

कोलकाता में एक जूनियर डॉक्टर के साथ सामूहिक बलात्कार कर उसकी वीभत्स हत्या का मामला सामने आने के बाद दुनिया भर में Women Safety को लेकर देश की छवि धूमिल हुई है. महिलाओं के खिलाफ लगातार बढ़ रहे Sexual Offences में कानून बनाने वाली विधायिका के सदस्यों की भागीदारी भी सवालों के घेरे में है. एक अध्ययन से पता चला है कि पिछले 5 सालों के दौरान चुने गए सांसद और विधायकों में 3 फीसदी ऐसे हैं, जिन्हें महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के मामलों का सामना करना पड़ रहा है. यह बात Electoral Reform से जुड़ी शोध संस्था Association for Democratic Reforms (ADR) की ओर से सांसदों और विधायकों के आपराधिक रिकॉर्ड का विश्लेषण कर एक रिपोर्ट में सामने आई है. इसमें चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई है कि इनमें सबसे ज्यादा निर्वाचित जनप्रतिनिधि सत्तारूढ़ भाजपा के हैं. गौरतलब है कि इस समय देश के अधिकांश राज्यों में भाजपा की सरकारें है.

ये है 'माननीयों' का रिपोर्ट कार्ड

एडीआर की रिपोर्ट में कुल 755 सांसद और 3938 विधायकों द्वारा चुनाव में पेश किए गए हलफनामे का विश्लेषण किया गया. इसके आधार पर पता चला है कि कुल 151 सांसद और विधायक ऐसे हैं, जिनके खिलाफ महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले देश की तमाम अदालतों में विचाराधीन हैं.

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इसमें पता चला कि बीते 5 सालों में सांसद विधायक बने 4693 'माननीयों' में से 151 का दामन महिला हिंसा के मामलों से दागदार हुआ है. यह तथ्य, महिला हिंसा में विधायिका के सदस्यों की 3.21 प्रतिशत भागीदारी को दर्शाता है. इनके ख‍िलाफ बलात्कार, वैश्यावृत्ति कराने के लिए Miner Girl का अपहरण करने, आपराधिक आशय से किसी महिला का शील भंग करने, अभद्रता और छेड़छाड़ करने, महिला के पति या पति के रिश्तेदार द्वारा क्रूरता करने और अश्लीलता करने जैसे मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें 2 सांसद और 14 विधायक बलात्कार के मामले में आरोपी हैं.

सबसे ज्यादा आरोपी भाजपा के

रिपोर्ट में इस बात का भी विश्लेषण किया गया है कि महिला हिंसा से जुड़े मामलों में किस पार्टी के विधायक और सांसदों की कितनी भागीदारी है. इसमें पता चला है कि महिला हिंसा के मामलों में सबसे ज्यादा संलिप्तता सत्तारूढ़ भाजपा के सांंसद और विधायकों की है.

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सांसद और विधायकों के हलफनामे के मुताबिक भाजपा के सबसे ज्यादा 54 जनप्रतिनिधियों ने महिला हिंसा से जुड़े मामलों का जिक्र अपने हलफनामे में किया है. इसके बाद 23 सांसद और विधायकों के साथ कांग्रेस दूसरे स्थान पर और तेलगू देशम पार्टी (TDP) 17 सांसद विधायकों के साथ तीसरे स्थान पर है.

ईमानदारी और शुचिता की राजनीति के रथ पर सवार होकर सबसे कम समय में सत्ता तक का सफर तय करने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस मामले में सपा और राजद जैसे स्थापित दलों को पीछे छोड़ते हुए चौथा स्थान हासिल किया है. आप के 13 सांसद विधायक महिला हिंसा के मामलों का सामना कर रहे हैं. जबकि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) के 10, राजद के 5 और सपा के दो सांसद विधायक महिला हिंसा से जुड़े मामलों में फंसे हैं. इस मामले में निर्दलीयों की संख्या 6 है.

राज्यों के आधार पर यदि इन आंकड़ों का विश्लेषण किया जाए तो इस रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल सबसे अव्वल है. रिपोर्ट के अनुसार महिला हिंसा में कथित संलिप्तता वाले 151 सांसद विधायकों में सबसे ज्यादा 25 'माननीय' पश्चिम बंगाल से हैं. जबकि आंध्र प्रदेश से 21, ओडिशा से 17 और महाराष्ट्र एवं दिल्ली से 13-13 सांसद विधायक इन मामलों में अदालती प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं.

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