
केरल में Nipah Virus का प्रकोप देखा जा रहा है. कुछ लोग संक्रमित हैं और कुछ रिकवर हो रहे हैं. पूरे राज्य में अलर्ट है और लोगों को एहतियात बरतने की सलाह है. लोगों को मास्क पहन कर बाहर निकलने की सलाह दी जा रही है. इस बीच केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने एक बड़ी बात कही. उनके मुताबिक देश के नौ राज्य निपाह वायरस के रडार पर रहते हैं. यानी इन नौ राज्यों में निपाह फैलने की आशंका प्रबल रहती है. लेकिन केरल इसमें सबसे ऊपर है. इस बार भी ऐसा हुआ और वहां सबसे पहले निपाह का प्रकोप देखा गया. बताया जा रहा है कि केरल में फैले निपाह का स्ट्रेन मलेशिया और बांग्लादेश से आया है. यह बीमारी चमगादड़ और अन्य जानवरों से इंसानों में फैलता है जो जानलेवा भी हो सकता है.
इस पूरे मामले में केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने कहा, ICMR और WHO ने इस मुद्दे पर अध्ययन किया था और यह पाया गया है कि भारत के नौ राज्यों में निपाह होने की संभावना है और केरल उनमें से एक है. इसके अलावा 2018 के बाद, हमने निगरानी की और हमने पाया कि इसका स्रोत निपाह संक्रमण चमगादड़ों से होता है. केरल में हमें जो वायरस मिला है, उसकी पहचान भारतीय जीनोटाइप या आई जीनोटाइप के रूप में की गई है, जो बांग्लादेश में पाए जाने वाले स्ट्रेन के समान है. हमारे पास निपाह वायरस के दो स्ट्रेन हैं, एक मलेशियाई और दूसरा बांग्लादेश से आया है.''
इन नौ राज्यों में केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल, असम, मेघायल और पुडुचेरी हैं. केरल के अलावा ये नौ राज्य हैं जहां निपाह वायरस का खतरा रहता है. यानी इन राज्यों में पूर्व में निपाह के एंटीबॉडी पाए गए हैं. इसके अलावा तेलंगाना, गुजरात, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और चंडीगढ़ यूटी में भी निपाह को लेकर सर्वे किया गया है. वहां से भी रिपोर्ट आने की संभावना है.
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ऐसे में यह जानना जरूरी है कि केरल में ही इस वायरस का प्रकोप क्यों होता है, बाकी राज्यों से ऐसी खबरें क्यों नहीं आतीं. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि 2018 से अब तक केरल में चार बार निपाह का संक्रमण फैल चुका है. इस साल के हालिया मामले में छह नए केस आए जिसके बाद कोविड की तरह कंटेनमेंट जोन बनाए गए और लोगों को एहतियात बरतने की सलाह दी गई.
हालात ये हो गए कि स्कूल-कालेज बंद कर दिए गए. कंटेनमेंट जोन में लोगों को घर से बाहर न निकलने की हिदायत दी गई. दूसरी ओर इसके उपचार पर भी ध्यान दिया गया क्योंकि केस अचानक फैल गए तो हालत खराब हो जाती. इससे बचने के लिए ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी खरीदी जा रही है ताकि संक्रमित लोगों का फौरी इलाज किया जा सके.
निपाह कैसे फैलता है, इसे लेकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की एक स्टडी है. उसमें बताया गया है कि देश के नौ राज्य हैं जहां के चमगादड़ों में निपाह का प्रसार होता है. यानी इन चमगादड़ों के द्वारा ही किसी अन्य जानवर में निपाह पहुंचता है, फिर उसके बाद इंसानों को संक्रमित करता है. इसके पीछे वजह बताई गई कि चमगादड़ जिन फलों को खाते हैं या मुंह में दबाने का प्रयास करते हैं, अगर वे फल जमीन पर गिर जाएं और उस फल को कोई और जानवर या इंसान खा ले तो उससे निपाह का संक्रमण फैलता है.
हालांकि अभी तक किसी भी स्टडी में यह रिपोर्ट में यह स्पष्ट तौर पर नहीं कहा गया है कि चमगादड़ या किसी और जानवर से ही इंसानों में पहली बार निपाह का संक्रमण फैला. लेकिन बाद की स्थितियों पर गौर करने के बाद ये बातें जाहिर हुईं कि चमगादड़ ही प्राइमरी वेक्टर हैं जो अन्य जानवरों या इंसानों में निपाह फैलाते हैं.
रिपोर्ट्स से जाहिर है कि केरल के चमगादड़ों में एक महामारी की तरह निपाह वायरस का संक्रमण फैलता रहा है. इसके पीछे एक बड़ी वजह ताड़ की टॉडी यानी कि ताड़ी (जूस) को भी माना जाता है. चूंकि चमगादड़ फ्रेश ताड़ी को पीते हैं, फिर वही ताड़ी मिट्टी के उस बर्तन में जमा होता है जिसे अगली सुबह उतारा जाता है और पीने में इस्तेमाल किया जाता है. इससे इंसानों में निपाह वायरस का संक्रमण फैलने की आशंका जाहिर की जाती है. हालांकि विशेषज्ञ बताते हैं कि ताड़ी वाली बात अन्य राज्यों में भी है, लेकिन वहां शायद निपाह को डिटेक्ट नहीं किया जाता. जांच हो तो उन राज्यों में भी निपाह पकड़ में आ सकता है.
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